नागौर लोकसभा सीट
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नागौर लोकसभा सीट की अपनी एक अलग तासीर है. इस सीट पर हर बार या तो जीतने वाली पार्टी बदल जाती है या फिर यहां प्रत्याशी बदल जाते है. पिछले लोकसभा चुनावों में इस सीट से आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल सांसद चुने गए थे. ऐसे में इस बार नागौर लोकसभा सीट पर लड़ाई भी बड़ी है. देश की आजादी के साथ अस्तित्व में आइ इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था. उस समय यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार जीडी गोस्वामी चुनाव जीते थे. इस सीट पर जाट केंद्रित राजनीति सबसे बड़ा फैक्टर है और नागौर को जीतने के लिए इस समुदाय का समर्थन हासिल करना महत्वपूर्ण है. नागौर लोकसभा सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट रही है. हालांकि, पिछले दो चुनावों में भाजपा ने इस परंपरा को बदल दिया है. 2019 के चुनाव में भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन कर नागौर सीट जीती थी.
इस बार के लोकसभा चुनाव में नागौर सीट से बीजेपी प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने मोदी लहर और राम मंदिर निर्माण को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने के प्रयास किये हैं. वहीं उन्होने मतदाताओं को रिझाने के लिए इमोशनल कार्ड भी खेला है. इसके उलट हनुमान बेनीवाल के साथ अब खुद के जनाधार के साथ कांग्रेस का अच्छा खासा वोट बैंक भी जुड़ गया है. आपको बता दें साल 2019 में हनुमान बेनीवाल ने BJP के NDA अलायंस के साथ RLP प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उस समय भी ज्योति मिर्धा ही बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उनके सामने मैदान में उतरी थीं. ऐसे में नागौर में एक बार फिर वही प्रत्याशी मैदान में उतरे है, लेकिन इस बार प्रत्याशियों के पाले बदल गए हैं.