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HEALTH- घबराने की बात नहीं, भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का कोई मामला नहीं

By HO BUREAU 

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Monkey pox

नई दिल्ली। भारत में मंकीपॉक्स ((Monkey pox) का अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को लेकर चिंता जताई गई थी। इसी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की। श्री नड्डा ने 17 अगस्त को यहां मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में श्री नड्डा ने बताया कि भारत में आज तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।

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बीमारी के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एहतियाती उपाय किए जाने चाहिए

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अत्यधिक सावधानी के तौर पर कुछ उपाय जैसे कि सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों को संवेदनशील बनाना होगा। साथ ही परीक्षण प्रयोगशालाओं को तैयार करना होगा। बताया गया कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह के बीच स्व-सीमित होता है और रोगी आमतौर पर सहायक प्रबंधन के साथ ठीक हो जाते हैं। संचरण के लिए संक्रमित मामले के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने मंकीपॉक्स (Monkeypox) को लेकर तैयारियों की समीक्षा की

यह आम तौर पर यौन मार्ग, शरीर/घाव के तरल पदार्थ या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों/लिनन के सीधे संपर्क के माध्यम से होता है। WHO ने पहले जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया था। बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था। वैश्विक स्तर पर 2022 से WHO ने 116 देशों में मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौत दर्ज की है। WHO द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से मार्च 2024 में आखिरी मामले के साथ भारत में कुल 30 मामले पाए गए।

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स्थिति की समीक्षा के लिए 16 अगस्त 2024 को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों की संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई। बैठक में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसके अलावा (डीटीई.जीएचएस), केंद्र सरकार के अस्पताल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स आदि भी शामिल थे। बताया गया कि मंत्रालय द्वारा स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

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