ओवैसी का विरोध: काली पट्टी के साथ नमाज़, आतंकी हमले पर कड़ा संदेश
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को दहला दिया है। इस त्रासदी में कई बेगुनाह लोगों की जान चली गई, जिससे देशभर में शोक और आक्रोश की लहर फैल गई। इसी क्रम में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस जघन्य कृत्य के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। हैदराबाद में जुमे की नमाज़ के लिए पहुंचते समय ओवैसी ने काली पट्टी बांध रखी थी, जो कि आतंकवाद के खिलाफ विरोध और संवेदना का प्रतीक था।
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ओवैसी ने नमाज़ के बाद पत्रकारों से बात करते हुए इस हमले को एक कायराना और मानवता विरोधी कृत्य करार दिया। उन्होंने कहा, “पहलगाम में जो हुआ वह हर इंसान के लिए एक दर्दनाक हादसा है। यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि एकजुट होकर आतंक के खिलाफ आवाज बुलंद करने का है।”
राजनीतिक विरोध से परे भावनात्मक एकजुटता
ओवैसी का यह कदम एक गंभीर राजनीतिक संदेश भी था कि आतंकवाद के मुद्दे पर किसी प्रकार की राजनीतिक संकीर्णता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का हर नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से हो, इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा हो।
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की कि इस तरह के हमलों की जांच तेज़ी से की जाए और आतंकियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए। इसके अलावा उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को समुचित आर्थिक सहायता और सुरक्षा देने की भी मांग की।
सोशल मीडिया पर भी ओवैसी के कदम की चर्चा
सोशल मीडिया पर ओवैसी की यह तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गईं, जहां उन्हें काली पट्टी बांधे हुए नमाज़ पढ़ते हुए देखा गया। कई लोगों ने इस पहल की सराहना की, तो कुछ ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया। बावजूद इसके, उनके इस कदम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत और एकजुट नीति की आवश्यकता है।
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साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश
ओवैसी ने अपने बयान में कहा कि “कोई भी मज़हब आतंक को जायज़ नहीं ठहराता। हमें ऐसे तत्वों से निपटने के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक स्तर पर भी काम करना होगा।” उनका यह संदेश धार्मिक एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।