संदीप दीक्षित की तीखी प्रतिक्रिया: आतंक पर चाहिए निर्णायक वार
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस घटना में कई निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, जिससे शोक और आक्रोश का माहौल है। इस भयावह घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने न सिर्फ हमले की कड़ी निंदा की, बल्कि सरकार से सख्त और ठोस कार्रवाई की भी मांग की।
पढ़ें :- Poochta Hai Bharat: अर्नब गोस्वामी की हुंकार - 'गोली का जवाब गोला से देंगे', भारत-पाक तनाव पर गरमाया माहौल
संदीप दीक्षित ने कहा, “इस तरह की घटनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधी चुनौती देती हैं और ऐसे में सरकार को हर स्तर पर सजग होकर कदम उठाना चाहिए। यह केवल सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व को भी एकजुट होकर आतंक के खिलाफ मजबूत संदेश देना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम हमला केवल एक घटना नहीं है, यह हमें हमारी रणनीतिक कमज़ोरियों की याद दिलाता है। “अब शब्दों से नहीं, कार्रवाई से जवाब देने का वक्त है।”
सरकार को सुझाए ठोस कदम
संदीप दीक्षित ने केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि खुफिया तंत्र को और मजबूत करना, स्थानीय नेटवर्क की पहचान कर उसे तोड़ना, और आंतरिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना अब और भी ज़रूरी हो गया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सभी दलों को एक सुर में बोलना होगा, ताकि आतंकियों को यह संदेश जाए कि भारत उनके सामने कभी नहीं झुकेगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस समय सरकार की आलोचना नहीं कर रहे, बल्कि एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं जो समय रहते चेतावनी देना चाहता है।
पढ़ें :- पहलगाम आतंकी हमले के बाद शांति की पहल: ऑपरेशन सिंदूर, युद्ध के हालात और सीजफायर पर वैश्विक भूमिका
आतंक के खिलाफ एकजुटता की अपील
संदीप दीक्षित ने कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने का है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों से अपील की कि वे अफवाहों से दूर रहकर देश में सांप्रदायिक सौहार्द और एकता बनाए रखें।
शहीदों को दी श्रद्धांजलि, परिवारों के प्रति संवेदना
उन्होंने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “इन शहीदों की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए। सरकार को उनके सम्मान में ऐसा जवाब देना चाहिए, जिससे आने वाले वर्षों तक दुश्मन सोच भी न सके कि वह भारत की एकता को चुनौती दे सकता है।”