आतंकियों से ज्यादा खतरनाक है खुफिया तंत्र की विफलता: अखिलेश यादव
पहलगाम आतंकी हमला एक बार फिर से देश की सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस कायराना हमले को लेकर गहरी चिंता जताई और इसे सीधे तौर पर इंटेलिजेंस फेल्योर बताया। उन्होंने कहा, “देश की सुरक्षा में सबसे बड़ा खतरा तब होता है जब हमारी खुफिया एजेंसियां असफल हो जाती हैं। यह हमला केवल आतंकवादियों की साजिश नहीं, बल्कि हमारी प्रणाली की विफलता का भी परिणाम है।”
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उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब सुरक्षा अलर्ट पहले से था, तब आखिर यह हमला कैसे हुआ? आखिर क्यों आम नागरिकों की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हो गई? अखिलेश यादव ने इस घटना के लिए केंद्र सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया और मांग की कि इसकी संपूर्ण जांच होनी चाहिए।
पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है देश
अखिलेश यादव ने हमले में जान गंवाने वाले निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दी और उनके परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा देश शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा है। “आज केवल कड़े बयान और प्रेस कॉन्फ्रेंस से काम नहीं चलेगा। अगर समय रहते खुफिया जानकारी को गंभीरता से लिया गया होता, तो शायद यह हादसा रोका जा सकता था,” उन्होंने कहा।
सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे
अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में इस प्रकार की विफलताएं न हों। उन्होंने कहा कि अगर आतंकी गतिविधियों को रोकना है तो केवल सीमा पर सुरक्षा बढ़ाना काफी नहीं होगा, बल्कि आंतरिक खुफिया नेटवर्क को भी मजबूत करना जरूरी है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को चाहिए कि वह सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर चर्चा करे और एक सर्वदलीय रणनीति तैयार करे ताकि आतंकी घटनाओं पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाया जा सके।
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आतंक पर राजनीति नहीं, समाधान चाहिए
अखिलेश यादव ने साफ शब्दों में कहा कि आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह विपक्ष की आलोचना को केवल ‘राजनीतिक बयानबाजी’ न समझे, बल्कि संरचनात्मक बदलावों की ओर कदम बढ़ाए।
उन्होंने कहा, “हम देश की सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के साथ हैं, लेकिन आंख मूंदकर समर्थन नहीं कर सकते। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी और सुधार नहीं होगा, तब तक हम शहीदों की आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दे सकते।”