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Parliament : संसद में बैन हुए कई शब्द, असंसदीय भाषा को लेकर विपक्षी नेताओं ने सरकार पर उठाए सवाल, लोकसभा अध्यक्ष ने दिया जवाब

By इंडिया वॉइस 

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नई दिल्ली, 14 जुलाई। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी असंसदीय शब्दों की नई सूची को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने इसे गलत ठहराया है।

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि नए भारत का नया शब्द कोष सामने आया है। इसमें ‘असंसदीय’ शब्द की परिभाषा इस तरह है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री की सरकार चलाने की कार्यशैली को चर्चा और बहस में सही ढंग से परिभाषित करने वाले शब्द अब प्रतिबंधित हो गए हैं।

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार जिन शब्दों को असंसदीय बना रही है। उन शब्दों का प्रयोग प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय कामकाज में किया है। उन्होंने खुद इन शब्दों का प्रयोग किया है और अब इसे गलत क्यों बताया जा रहा है। इस विषय पर संसद में बहस के दौरान हम इसका मुद्दा उठायेंगे।

गौरतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा में 18 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से शब्दावली को लेकर नए नियम जारी किए गए हैं। लोकसभा सचिवालय की नई बुकलेट में कहा गया है कि ”जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट जैसे शब्दों को लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय माना जाएगा। इसमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी, खून से खेती जैसे शब्द भी शामिल हैं। इनमें लज्जित, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड और अक्षम” के लिए प्रयोग होने वाले अंग्रेजी शब्द भी हैं।

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AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी का इस मुद्दे पर कहना है कि असंसदीय भाषा का मुद्दा नहीं है वो किस संदर्भ कहा गया है ये भी देखना जरूरी है। अगर वो संसद में बोलें कि ‘मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा’ क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया’ तो क्या सरकार ‘फूल’ को असंसदीय घोषित कर देगी?

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वहीं आम आदमी पार्टी से सांसद राघव चड्ढा ने कहा है कि सरकार की इन शब्दों की सूची को पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कैसे परिभाषित किया जाता है। जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है, लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ।

उधर मामले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जिन शब्दों को हटा दिया गया है, वो विपक्ष के साथ-साथ सत्ता में पार्टी द्वारा भी संसद में कहे और उपयोग किए गए हैं। केवल विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों के चयनात्मक निष्कासन के रूप में कुछ भी नहीं है। कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी।

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