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Parliament Session 2022 : जजों की नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था नहीं, SC में 4 महिला न्यायाधीश- किरेन रिजिजू

By इंडिया वॉइस 

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नई दिल्ली, 03 फरवरी। केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि न्यायालय में जजों की नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था नहीं है लेकिन वो चाहते हैं कि जब भी कॉलेजियम जजों की नियुक्ति की सिफारिश करें तो महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को प्राथमिकता दें। विधि और न्यायमंत्री किरण रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि ये पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट में 4 महिला न्यायाधीश कार्यरत हैं। जबकि न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की कुल संख्या 34 है। रिजिजू ने प्रश्नकाल में पूरक जवालों के जवाब में बताया कि 4 महिला न्यायाधीशों में से 3 महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति उनके कानून मंत्री बनने के बाद हुई है।

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केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि देश के कई हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की संख्या 1098 है जिन पर 83 महिला न्यायाधीश कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर इस बात पर है कि महिला न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि हो। रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति देश के संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत की जाती है। इन पदों के लिए आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है।

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कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि सरकार मुख्य न्यायाधीशों से अपील करती रही है कि उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय वो सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने की कोशिश करें ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और महिलाओं के नामों पर भी विचार किया जाए।

किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्होंने SC और हाई कोर्ट के कॉलेजियमों से व्यक्तिगत रूप से भी ये अनुरोध किया है कि नामों की सिफारिश करते समय महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नामों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि सरकार किसी नियुक्ति में जानबूझकर देरी नहीं करती है। लेकिन इसके लिए एक प्रक्रिया है और इसके साथ ही हमें ये सुनिश्चित करना होता है कि न्यायाधीश के रूप में नियुक्त रूप में होने वाले उम्मीदवार उस पद के लिए उपयुक्त हों।

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