असम MLA का विवादित बयान और गिरफ्तारी
असम की राजनीति उस समय गरमा गई जब एक विधायक ने पुलवामा और हालिया पहलगाम आतंकी हमले को “सरकारी साजिश” करार दिया। इस बयान ने न केवल सियासी हलकों में खलबली मचा दी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और शहीदों के सम्मान को लेकर जनता में भारी आक्रोश फैल गया। असम पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए विधायक को भड़काऊ और असंवेदनशील बयान देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
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पुलवामा हमला, जिसमें 40 से अधिक CRPF जवान शहीद हुए थे, और हालिया पहलगाम हमला, जिसमें निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया गया, दोनों ही घटनाएं देश के लिए बेहद संवेदनशील रही हैं। ऐसे में विधायक का यह बयान कि “इन हमलों में सरकार की साजिश शामिल हो सकती है”, न केवल भावनाओं को आहत करता है बल्कि राष्ट्रहित के विरुद्ध माना जा रहा है।
राजनीतिक गलियारों में उबाल
विधायक के इस बयान की भाजपा, कांग्रेस और अन्य राष्ट्रीय दलों ने कड़ी निंदा की है। भाजपा प्रवक्ताओं ने इसे “देशद्रोही बयान” करार देते हुए कड़ा एक्शन लेने की मांग की। वहीं कांग्रेस ने भी स्पष्ट किया कि इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयानों का समर्थन नहीं किया जा सकता। कुछ नेताओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गलत व्याख्या बताते हुए कहा कि जब देश सुरक्षा के मोर्चे पर संघर्ष कर रहा है, तब ऐसे बयान निंदनीय हैं।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि “राजनीति में आलोचना हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और शहीदों की शहादत पर राजनीति नहीं की जा सकती।” असम विधानसभा में इस मुद्दे पर जोरदार बहस छिड़ गई और सत्तापक्ष ने तुरंत विधायक की सदस्यता रद्द करने की मांग कर डाली।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा
विधायक के बयान के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर #ArrestMLA, #RespectMartyrs, और #PulwamaInsult जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। हजारों यूज़र्स ने इसे शहीदों का अपमान बताते हुए विधायक को सख्त सजा देने की मांग की। कई पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिजनों ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की बातें देश के वीरों की कुर्बानी पर सवाल उठाती हैं।
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विधिक कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया
पुलिस ने विधायक के खिलाफ राजद्रोह, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना, और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और सरकार ने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है और यदि जरूरत पड़ी तो केंद्रीय जांच एजेंसियां भी इसमें हस्तक्षेप कर सकती हैं। यह गिरफ्तारी एक स्पष्ट संकेत है कि देश की सुरक्षा और शहीदों की गरिमा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।