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सोशल मीडिया बैन, लेकिन PM सोशल मीडिया से! नेपाल की राजनीति का सबसे बड़ा प्लॉट ट्विस्ट

By HO BUREAU 

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सोशल मीडिया बैन, लेकिन PM ऑनलाइन!

नेपाल की राजनीति ने इस हफ़्ते ऐसा ट्विस्ट लिया है कि पूरी दुनिया हैरान है। सरकार ने कुछ ही दिन पहले फेसबुक, इंस्टाग्राम और X जैसे प्लेटफ़ॉर्म बैन किए थे ताकि ‘कंट्रोल’ रखा जा सके but अब उसी सोशल मीडिया से देश का नया अंतरिम प्रधानमंत्री चुना गया है! जी हाँ, संसद के कई मेंबर और क़रीब 1.45 लाख लोग Discord सर्वर पर ऑनलाइन आए और लाइव वॉइस चैनल पर वोटिंग कर नया PM चुन लिया।

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सड़क से स्क्रीन तक: जनता की जीत

काठमांडू की सड़कों पर हफ़्तों से चल रहे प्रदर्शन, 19 मौतें, संसद पर हमला, और सांसदों के घरों में आग के बाद KP शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा। जनता का ग़ुस्सा इतना उफान पर था कि उन्होंने कहा—“अब बस!” और उसी उफान के बीच यह Discord चुनाव हुआ। यह सिर्फ़ राजनीति नहीं, डिजिटल क्रांति है।

 

Discord वोटिंग नया लोकतंत्र?

145,000 मेंबर्स वाले Discord सर्वर पर रियल टाइम डिबेट, पोल और वोटिंग हुई। मिनटों में नतीजे आए और देश ने अपने नए अंतरिम प्रधानमंत्री को चुना। लोग इसे कहते हैं “पहली बार डिजिटल पार्लियामेंट”।

एक यूज़र ने लिखा “सरकार ने सोशल मीडिया बैन किया, और हमने उसी सोशल मीडिया पर सरकार बदल दी।”

 

नया चेहरा: युवा और डिजिटल फ्रेंडली

जो भी अंतरिम PM चुना गया है, वह सोशल मीडिया पर पहले से एक्टिव रहे हैं। उनकी इमेज क्लीन है, और वह युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। ये सिर्फ़ एक नेता नहीं, बल्कि Gen-Z के लिए उम्मीद की नई किरण हैं।

 

व्यंग्य और विडंबना

सोशल मीडिया बैन करने का जो फैसला जनता को चुप कराने के लिए लिया गया था, वही अब सत्ता का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। यह सीन दक्षिण एशिया में शायद पहली बार हुआ है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर नेताओं की वोटिंग हुई और अंतरिम सरकार का गठन हुआ।

 

आगे का रास्ता

अब सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या यह केवल अंतरिम व्यवस्था रहेगी या यह स्थायी रूप से राजनीति का नया मॉडल बनेगा? क्या नेपाल इस डिजिटल क्रांति को अपनाएगा? और क्या बाकी देश भी इस मॉडल को फॉलो करेंगे?

 

निष्कर्ष

नेपाल की यह कहानी सिर्फ़ सत्ता बदलने की नहीं है—यह युवा शक्ति, टेक्नोलॉजी और लोकतंत्र के नए चेहरे की कहानी है। यह दिखाती है कि अगर जनता चाहे तो सोशल मीडिया सिर्फ़ मीम बनाने का प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि देश की राजनीति बदलने का भी हथियार बन सकता है।

पुष्पेन्द्र चौधरी

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