कुछ कहानियां सिर्फ मशीनों की नहीं होतीं, बल्कि वो साहस, बलिदान और गौरव की गाथाएं होती हैं। मिग–21 ऐसी ही कहानी है। वह फाइटर जेट जिसने दुश्मनों के दिलों में दहशत और भारतवासियों के दिलों में गर्व जगाया।
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26 सितंबर, भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक ऐसा दिन बन गया जब 62 साल तक आसमान पर राज करने वाला योद्धा आखिरकार रिटायर हो गया। समय का नियम है—हर शुरुआत का एक अंत होता है, और अब मिग-21 का अध्याय सम्मानजनक विदाई के साथ बंद हो गया।
मिग–21 का जन्म और भारत में आगमन
1950 के दशक का शीत युद्ध। अमेरिका और सोवियत संघ दुनिया पर वर्चस्व जमाने की दौड़ में थे। तभी सोवियत संघ ने एक ऐसा सुपरसोनिक जेट बनाया जो आवाज से भी तेज उड़ सके—मिग–21।
- डिजाइनर मिकोयान और गुरेविच ने इसे तैयार किया, और उनके नाम पर इसका नाम पड़ा MIG (Mikoyan-Gurevich)।
- 1959 में सोवियत वायुसेना में शामिल हुआ।
- जल्द ही यह दुनिया के 60 से अधिक देशों तक पहुंच गया।
- 1963 में भारत ने इसे अपनी वायुसेना का हिस्सा बनाया। पहला स्क्वाड्रन था “नंबर 28”।
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युद्ध गाथाएं: जब मिग–21 ने दुश्मन को धूल चटाई
“फ्लाइंग कॉफिन” का सच
गौरव गाथाओं के बीच एक कड़वी सच्चाई भी रही।
- भारत ने कुल 850 मिग–21 खरीदे।
- इनमें से दर्जनों दुर्घटनाग्रस्त हुए और लगभग 200 पायलट शहीद हुए।
- तकनीकी खामियों, खराब दृश्यता और तेज रफ्तार पर नियंत्रण कठिन होने के कारण इसे “फ्लाइंग कॉफिन” कहा गया।
- 2022 की बाड़मेर दुर्घटना के बाद सरकार ने इसके रिटायरमेंट की घोषणा कर दी।
दुनिया भर में मिग–21 की कहानियां
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मिग-21 का जिक्र सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा।
- इजराइल ने इसे पाने के लिए “ऑपरेशन डायमंड” चलाया और इराक से चोरी करके एक मिग-21 हासिल किया।
- वियतनाम युद्ध में इसने अमेरिकी F-4 फैंटम्स को चुनौती दी।
- अफ्रीका से लेकर मध्य एशिया तक, यह विमान छोटे देशों का सहारा और बड़े देशों के लिए चुनौती बना रहा।
विदाई और नई उड़ान
चंडीगढ़ एयरबेस पर जब मिग-21 को वाटर कैनन सैल्यूट दिया गया, तो हर आंख नम और हर दिल गर्व से भरा था।
- अब इसकी जगह लेगा भारत का अपना तेजस मार्क–1ए।
- सरकार ने 97 तेजस का ऑर्डर HAL को दिया है, इससे पहले 83 तेजस पहले से बुक हैं।
- भारत का लक्ष्य है – 5th Generation Fighter Jet और पूरी तरह स्वदेशी इंजन।
मिग–21 की विरासत
यह केवल एक विमान नहीं बल्कि एक युग था। दुश्मन का नाम सुनकर भी मिग-21 की गरज याद आती थी। युद्ध संग्रहालयों और स्मारकों में यह आने वाली पीढ़ियों को साहस का संदेश देगा। यह हमें हमेशा याद दिलाएगा कि सीमित साधनों में भी भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों को चुनौती दी।
निष्कर्ष
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मिग-21 का अध्याय अब बंद हो चुका है, लेकिन उसकी गूंज हमेशा रहेगी। यह सिर्फ एक जेट नहीं बल्कि भारतीय वायुसेना की रगों में दौड़ता साहस है। आज जब हम इसे अलविदा कह रहे हैं, तो यह केवल रिटायरमेंट नहीं बल्कि एक गौरवशाली युग का समापन है, आने वाले समय में जब तेजस और स्वदेशी लड़ाकू विमान आसमान में उड़ेंगे, तो कहीं न कहीं उनकी जड़ों में मिग-21 की विरासत ही होगी।