सुल्तानपुर। गोमती नदी के तट पर स्थित सीताकुंड घाट पर 15 जनवरी को हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान कर सूर्य देवता को जल दिया और अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी ,तिल और वस्त्र का दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
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संपूर्ण भारत में मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन अलग-अलग प्रांतों में इसे अलग-अलग नाम और रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति को पोंगल , माघी, खिचड़ी , उत्तरायण और संक्रांति आदि जैसे विभिन्न नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य अपने धनु राशि से निकाल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए मकर संक्रांति के दिन आते हैं। यही कारण है कि लोग प्रायः स्नान कर सूर्य को अर्घ देकर तिल, गुड़, खिचड़ी व वस्त्र का दान दक्षिणा देकर अपने परिवार की सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।