नई दिल्ली। PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2022 में जब भारत ने G-20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने संकल्प लिया था कि हम G-20 को नया स्वरूप देंगे। Voice of Global South Summit एक ऐसा मंच बना, जहां हमने विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की। भारत ने ग्लोबल साउथ की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं पर आधारित G-20 एजेंडा तैयार किया।
पढ़ें :- PM मोदी @75: सेवा, समर्पण और संकल्प को राज्यों के सीएम का सलाम
श्री मोदी तीसरी Voice of Global South summit के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। कहा कि एक समावेशी और विकास-केंद्रित approach से G-20 को आगे बढ़ाया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था, जब अफ्रीकन यूनियन ने G-20 में स्थायी सदस्यता ग्रहण की। आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अभी तक कोविड के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है।
विकास में आ रही बाधाओं पर जताई चिंता
दूसरी ओर युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हम Climate change की चुनौतियों का सामना तो कर ही रहे हैं, अब हेल्थ सिक्योरिटी, फ़ूड सिक्योरिटी, और energy सिक्योरिटी की चिंताएं भी हैं। आतंकवाद, अतिवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। इसके अलावा टेक्नोलॉजी divide और टेक्नोलॉजी से जुड़ी नई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। पिछले सदी में बने ग्लोबल गवर्नेंस और फाइनेंशियल institutions इस सदी की चुनौतियों से लड़ने में असमर्थ रहे हैं।
ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर बनें एक दूसरे की ताकत
पढ़ें :- भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपोः भारत में ऑटो सेक्टर के ग्रोथ में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्वपूर्ण योगदानः PM मोदी
PM ने कहा कि यह समय की मांग है कि ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर, एक स्वर में, एक साथ खड़े रहकर, एक दूसरे की ताकत बनें। हम एक दूसरे के अनुभवों से सीखें। अपनी क्षमताओं को साझा करें। कहा कि भारत ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव, अपनी क्षमताएं साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा कि हम आपसी व्यापार, समावेशी विकास, सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स की प्रगति और women-led development को बढ़ावा देना चाहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल और एनर्जी connectivity से हमारे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिला है। कहा कि ग्लोबल साउथ के विभिन्न देशों को Unified Payments Interface यानि UPI से जोड़ने की पहल की है। Education, Capacity Building और Skilling के क्षेत्रों में हमारी पार्टनरशिप में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
विकास में Digital Public Infrastructure यानि DPI का योगदान किसी क्रांति से कम नहीं
पिछले वर्ष Global South Young Diplomat Forum की भी शुरुआत की गई। मोदी ने कहा कि समावेशी विकास में Digital Public Infrastructure यानि DPI का योगदान किसी क्रांति से कम नहीं है। हमारी G-20 अध्यक्षता में बना Global DPI Repository DPI पर ये अब तक का पहला multilateral consensus था। हमें खुशी है कि ग्लोबल साउथ के 12 पार्टनर्स के साथ “इंडिया स्टैक” साझा करने संबंधी समझौते हो चुके हैं। ग्लोबल साउथ में DPI में तेजी लाने के लिए हमने Social Impact Fund बनाया है। भारत इसमें 25 मिलियन डॉलर का शुरुआती योगदान करेगा।
One World-One Health पर दिया जोर
PM मोदी ने कहा कि हेल्थ सिक्योरिटी के लिए हमारा मिशन है – One World-One Health और हमारा विज़न है – “आरोग्य मैत्री” यानि “Friendship for Health”. हमने अफ्रीका और पैसिफिक आइलैंड देशों में अस्पताल, डायलिसिस मशीनें, जीवन-रक्षक दवाएं और जन औषधि केंद्रों के सहयोग से इस मित्रता को निभाया है। मानवीय संकट के समय, भारत एक first responder की तरह अपने मित्र देशों की सहायता कर रहा हैं। चाहे पापुआ न्यू गिनी में ज्वालामुखी फटने की घटना हो या कीनिया में बाढ़ की घटना।
पढ़ें :- PM मोदी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ पर दी बधाई
हमने Gaza और यूक्रेन जैसे conflict क्षेत्रों में भी मानवीय सहायता प्रदान की है। कहा कि Voice of Global South Summit एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम उन लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को आवाज़ दे रहे हैं, जिन्हें अब तक अनसुना किया गया है। PM ने कहा कि अगले महीने UN में Summit of the Future हो रहा है। इसमें Pact for the Future पर बात चल रही है। क्या हम सब मिलकर एक सकारात्मक approach ले सकते हैं, जिससे इस pact में ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद हो?