करौली-धौलपुर सीट
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साल 2008 में परिसीमन के दौरान राजस्थान में बनी नई लोकसभा सीट धौलपुर-करौली के लिए पहला चुनाव साल 2009 में हुआ था और उस समय कांग्रेस पार्टी के खिलाड़ी लाल बैरवा यहां के सांसद बने थे. 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी बदल दिया. जिसके बाद यह सीट बीजेपी की झोली में चली गई और यहां से मनोज राजौरिया सांसद चुन लिए गए। इसके बाद वह लगातार दो बार सांसद बने. परिसीमन के बाद से ही राज्य की अहम लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. करौली धौलपुर समेत राज्य की 12 लोकसभा सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान कराया गया, इसमें कुल 49.59 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. डॉ. मनोज राजौरिया ने साल 2014 में कांग्रेस के लख्खीराम लाल को हराकर जीत हासिल की थी. इसी प्रकार 2019 के चुनाव में भी डॉ. मनोज राजौरिया ही यहां से जीते थे.
इस बार के लोकसभा चुनाव में सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काट कर भाजपा ने इंदु देवी को प्रत्याशी बनाया है. इंदु देवी करौली की रहने वाली हैं और प्रधान रह चुकी हैं. लोगों से उनका सीधा जुड़ाव रहा है. करौली क्षेत्र में इंदु देवी को इसका फायदा मिल सकता है. वहीं भजनलाल जाटव भी दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं. लेकिन, करौली में जनता अभी उन्हें सहज स्वीकार नहीं कर पा रही. क्योंकि वे रहने वाले भरतपुर जिले के हैं.
धौलपुर क्षेत्र की चारों विधानसभा सीटों पर मजबूत स्थिति में रह सकते हैं. करौली धौलपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा वोट बैंक जाटव समाज का है. जो करीब सवा तीन लाख से ज्यादा है, इसके बाद मीणा समाज का है जो 1.5 लाख से ज्यादा है. यहां 1 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोट भी है जबकि 80 हजार राजपूत वोट बैंक है. इसके अलावा ब्राह्मण, लोदी और बघेल समाज का वोट है. करौली सीट पर एससी और एसटी वोटर काफी निर्णायक स्थिति में रहते हैं. करौली लोकसभा क्षेत्र की जनता ने आखिर किसे अपना मत देकर विजयी बनाया है ये तो अब 4 जून को ही पता चल पाएगा.