भरतपुर लोकसभा सीट
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भरतपुर लोकसभा सीट को लेकर बीजेपी भले ही अपने विजय रथ पर सवार है, लेकिन राह में मुश्किलें भी कुछ कम नहीं हैं, सबसे बड़ी मुश्किल तो यहां की परंपरा है, दरअसल भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में आज तक कोई भी पार्टी हैट्रिक नहीं लगा पायी है, इस सीट पर दो बार से लगातार बीजेपी जीत रही है, अब तीसरे चुनाव को लेकर बीजेपी के नेताओं में सुगबुगाहट जारी है, आपको बता दे इस लोकसभा सीट पर साल 2014 के चुनावों में बीजेपी के बहादुर सिंह कोली ने जीत दर्ज की थी, वहीं 2019 के चुनावों में बीजेपी की ही रंजीता कोली ये चुनाव जीती थी, भारतीय लोकतंत्र के गठन के साथ अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था, उस समय स्वतंत्र प्रत्याशी गिरिराज शरण सिंह यहां से सांसद चुने गए थे.
भरतपुर सीट पर इस बार बीजेपी ने रामस्वरुप कोली को अपना उम्मीदवार चुना है तो वहीं कांग्रेस ने संजना जाटव को मैदान में उतारा है, भरतपुर विधानसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटे भाजपा के खाते में हैं, वहीं बयाना की निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत ने भाजपा को समर्थन दिया है, आपको बता दें भरतपुर सीट पर जाट आरक्षण आंदोलन भी यहां की हवा बदल सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में करीब 5 लाख जाट वोटर्स हैं, जाट ओबीसी में शामिल करने को लेकर जाटों में बीजेपी के प्रति नाराजगी है, इसका असर वोट बैंक पर भी पड़ सकता है.
भरतपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इस सीट पर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में 7 बार कांग्रेस व 6 बार भाजपा व 4 बार अन्य ने विजय हासिल की है. इस लोकसभा सीट ने देश को बड़े दिग्गज नेता भी दिए है उनमें बात चाहे इंदिरा गांधी केबीनेट में मंत्री रहे बाबू राजबहादुर की हो या फिर राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे राजेश पायलट की या विदेश मंत्री रहे कुंवर नटवर सिंह की, इस सीट पर भरतपुर राजपरिवार का खासा दबदबा रहा है. यही वजह है कि इस सीट से विश्वेन्द्र सिंह ,उनकी पत्नी दिव्या सिंह व उनकी चचेरी बहिन कृष्णेन्द्र कौर दीपा भी सांसद रह चुकी है. इस लोकसभा सीट में भरतपुर की 7 विधानसभा और अलवर जिले की 1 विधानसभा मिलाकर कुल 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस सीट पर कुल वोटिंग 52.80 प्रतिशत रही है.