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मानसून में क्यों नहीं खानी चाहिए मछली?

By Avnish 

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नई दिल्ली ।  यदि आप मांसाहारी खाते हैं, तो आपको मानसून के सीजन में मछली या कोई भी समुद्री भोजन खाने से पहले सावधान जाइए । अब आप सोच रहे होंगे कि मछली खाना तो काफी फायदेमंद है फिर भी इसे खाने की मनाही क्यों है। चलिए यह जानते है दरअसल मानसून जहां राहत और ताजगी लाता है, वहीं वाटर ब़ॉडीज में प्रदूषण के बढ़ते जोखिम के कारण समुद्री भोजन को खतरनाक कीटाणुओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। इसलिए बरसात के मौसम में समुद्री भोजन से परहेज करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं इसके बारे में

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मछली खाने के  दुष्प्रभाव जानिए

वाटर पॉल्यूशन- मानसून की बारिश अक्सर जल प्रदूषण को बढ़ाने में काफी ज्यादा योगदान देती है। क्योंकि बारिश का पानी जमीन से प्रदूषकों को नदियों, झीलों और समुद्रों में बहा देता है। मछलियां और बाकी समुद्री भोजन प्रजातियां इन प्रदूषकों को निगल सकती हैं, जो उनके शरीर में जमा हो सकते हैं। वहीं जब लोग गंदे समुद्री भोजन का सेवन करते हैं, तो वे भारी धातुओं और रसायनों जैसे हानिकारक चीजों के संपर्क में आ सकते हैं, जिससे आपको लंबे समय की स्वास्थ्य से जुड़ी हुई परेशानियां हो सकती हैं।

मरकरी पॉइजनिंग- मछली खाने का एक और संभावित दुष्प्रभाव मरकरी पॉइजनिंग है। मरकरी एक विषैली भारी धातु है जो मछली और अन्य समुद्री भोजन, खास कर  ट्यूना, स्वोर्डफ़िश और शार्क जैसी मछलियों के ऊतकों में जमा हो सकती है। मानसून के कारण पारे के स्तर में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे मछली के प्रकार और मात्रा के बारे में सतर्क रहना आवश्यक हो जाता है।

एलर्जी- कई लोगों को कई प्रकार की मछली या समुद्री भोजन से एलर्जी या संवेदनशीलता हो सकती है। मानसून के दौरान, जब प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा कमजोर हो सकती है, तो ये एलर्जी बढ़ सकती है। समुद्री खाद्य एलर्जी के सामान्य लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और इसमें पित्ती, खुजली, दाने, चेहरे, होंठ, जीभ या गले पर सूजन, सांस लेने में कठिनाई या घरघराहट, पेट में दर्द, मतली या उल्टी शामिल हो सकते हैं।

 

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