उत्तराखंड में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने से सजाने का काम पूरा हो गया है. मंदिर के गर्भगृह की दीवारों और छतों को 550 सोने की परतों से सजाकर एक भव्य रूप दिया गया. श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने का काम पिछले तीन दिनों से चल रहा था. इसकी दीवारों और छतों को तीन दिन में 19 कारीगरों ने सोने की 550 परतों से सजाकर भव्य रूप दिया है. इसके बाद IIT रुड़की, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च रुड़की और ASI की 6 सदस्यीय टीम ने धाम का निरीक्षण भी किया.
पढ़ें :- जम्मू में बाढ़ की तबाही: इंसान, जानवर और जीवन-यापन सब कुछ संकट में
दरअसल, इससे पहले साल 2017 में गर्भगृह की दीवारों को चांदी से ढक दिया गया था. इसके लिए लगभग 230 किलोग्राम धातु का उपयोग किया गया. सोना चढ़ाने के प्रारंभिक चरण में सबसे पहले चांदी की परतों को हटाया गया और मंदिर के इंटीरियर को साफ किया गया. इसके बाद सोने की प्लेटों के वास्तविक आकार को प्राप्त करने के लिए तांबे की फिटिंग की गई, क्योंकि जितनी जगह को सोने की प्लेटों से कवर किया जाना था, वह चांदी से ढके हुए क्षेत्रफल से अधिक थी. यानि सोने की परतें ज्यादा चढ़ाई जानी थीं. चार स्तंभ, जालहरी (भीतरी शिवलिंग के चारों ओर की दीवार), छत्र (चंदवा), छत और गर्भगृह की आंतरिक दीवार, सोने से ढकी हुई थी.
इस कार्य को अंजाम देने के प्रारंभिक कार्य जैसे माप लेना, सोने की चादरों को लगाने के लिए पत्थर की दीवारें तैयार करना आदि लगभग डेढ़ महीने पहले शुरू हुआ था. इसके लिए करीब एक हफ्ते पहले रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईआईटी-रुड़की और एएसआई की छह सदस्यीय टीम ने मंदिर का निरीक्षण किया था. इस बारे में उन्होंने अपने सिफारिशें दीं और उसी के मुताबिक काम को अंजाम दिया गया.
शीतकाल के लिए बंद होंगे कपाट
बाबा केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर को सुबह साढ़े आठ बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली, शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ प्रस्थान करेगी. इससे पहले बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान से पूजा के बाद दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.