लखनऊ। अब हर 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जाएगा… जी हाँ, कल यानी 12 जुलाई को केंद्र सरकार ने इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अब सरकार के इस ऐलान से सियासी जगत में जबरदस्त घमासान मच गया है। कांग्रेस और उसके इंडिया गठबंधन से जुडी पार्टियां बीजेपी पर हमलावर हो गई हैं। ऐसे में भाजपा पर इस बीच जो पार्टी सबसे ज्यादा हमलावर दिखा वो है समाजवादी पार्टी।
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दरअसल, सपा चीफ अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए इस मामले पर BJP की क्लास लगा दी है। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोला और कुछ घटनाओं का जिक्र भी किया। इसी के साथ अखिलेश ने सरकार के सामने एक के बाद एक सवालों की लड़ियाँ लगा दी।
30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।
भाजपा बताए कि:
– मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस
– हाथरस की बेटी हत्या दिवस
– लखीमपुर में किसान हत्या दिवस…— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 12, 2024
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उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी। भाजपा बताए कि: मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस, हाथरस की बेटी हत्या दिवस, लखीमपुर में किसान हत्या दिवस, कानपुर देहात में माँ-बेटी हत्या दिवस, तीन काले क़ानूनों से कृषि हत्या दिवस, पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस, अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस, बेरोज़गारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस, बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस, नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस, यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस, जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस, सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस, पुरानी पेंशन के हत्या दिवस, संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस जैसे भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए?
केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के तहत, “25 जून 1975 को Emergency की घोषणा की गई थी, उस समय की सरकार ने सत्ता का घोर दुरुपयोग किया था और भारत के लोगों पर अत्याचार किये थे। जबकि भारत के लोगों को देश के संविधान और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” घोषित किया है और भारत के लोगों को, भविष्य में, किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए पुनः प्रतिबद्ध किया है।
अब सियासी बुद्धिजीवियों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी विपक्ष के तरफ से संविधान की हत्या वाले हमले को काउंटर करने के लिए इमरजेंसी पर फोकस कर रही है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों के संविधान बचाओ मुद्दे के काट के रूप में 25 जून 1975 को इमरजेंसी लगने के दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना बीजेपी को उल्टा पड़ सकता है। क्योंकि आम जनता के लिए इमरजेंसी क्या थी और उससे क्या नुकसान हुआ इससे कुछ भी मतलब नहीं है। ज्यादातर लोगों को तो आज भी इमरजेंसी के बारे में कुछ नहीं पता होगा। ऐसे में भाजपा के संविधान हत्या दिवस को विपक्ष एक बार फिर उस पर चर्चा को बढ़ाएगा और बीजेपी के लिए ये आने वाले चुनावों में नुकसानदायक साबित हो सकता है।