बदायूं। बदायूं की बेटी राम जानकी वन गमन पदयात्रा पर निकल पड़ी है। अयोध्या से रामेश्वरम तक की 4500 किमी की यात्रा को पैदल पूरा करेंगी। बदायूं की दातागंज की शिप्रा पाठक की राम जानकी वन गमन पदयात्रा पर सकुशल वापसी के लिए बदायूं में जगह-जगह यज्ञ व हवन हो रहा है।
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इस समय अयोध्या से रामेश्वरम तक अपनी राम जानकी वन गमन पदयात्रा के माध्यम से बदायूं जिले का नाम भारत में रोशन करने वाली शिप्रा पाठक की चर्चा चारों तरफ हो रही है। साध्वी जीवन, हाथ में लाठी, संतों वाली वेश-भूषा यही उनकी पहचान है। शिप्रा पाठक मूल रूप से बदायूं के दातागंज कस्बे की रहने वालीं हैं। राम जानकी वन गमन पदयात्रा की सकुशल वापसी के लिए उनके गृह जनपद और गृह क्षेत्र दातागंज के विभिन्न गांवों में भागवत कथा और हवन यज्ञ का आयोजन भी किया जा रहा है।
जहां-जहां भगवान श्री राम, जानकी व लक्ष्मण के चरण पड़ें, वहां-वहां पहुंच कर करेंगी पदयात्रा
दातागंज की रहने वाली शिप्रा पाठक ने 27 नवंबर 2023 को ये यात्रा श्री राम की नगरी अयोध्या से शुरू की थी। इस समय वह नासिक पहुंच गईं हैं। जहां-जहां भगवान श्री राम जानकी व लक्ष्मण के साथ पैदल गए थे, वहां-वहां पहुंच कर वह पदयात्रा करेंगी। यह यात्रा उत्तर प्रदेश के अयोध्या से शुरू होकर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक से होकर तमिलनाडु के रामेश्वरम में समाप्त होगी। शिप्रा पाठक की यह राम जानकी वन गमन पद यात्रा अयोध्या से शुरू होकर रामेश्वरम में समाप्त होगी। वह इस समय नासिक पहुंच गईं हैं।
जंगलों से होते हुए जहां-जहां जाती हैं, वहां-वहां स्थानीय लोग उनसे मिलने, उनके दर्शन करने तथा उनका स्वागत करने पहुंच जाते हैं। इसके पहले वह मां नर्मदा और गोमती की परिक्रमा कर चुकी हैं। जहां से उन्हें वाटर वूमेन की उपाधि मिली है। यह उपाधि उन्हें इसलिए भी मिली थी कि उन्होंने जल संरक्षण का वीणा भी उठाया है।
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पर्यावरण को लेकर एक करोड़ पेड़ लगाने का भी संकल्प
इसके अलावा पर्यावरण के प्रति प्रेम दिखाते हुए उन्होंने एक करोड़ पेड़ लगाने का भी संकल्प लिया है। शिप्रा पाठक दातागंज के डॉ. शैलेश पाठक की पुत्री हैं जो समाज सेवी हैं। उन्होंने कोरोना के समय में भी समाज सेवा में जरूरतमंदों, राहगीरों की सेवा कर रिकॉर्ड बनाया था। शिप्रा पाठक की दादी मां संतोष कुमारी पाठक दातागंज विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रहीं हैं।