जगदलपुर। भगवान सहस्त्रार्जुन चन्द्रवंश के आदि पुरुष चन्द्रमा बड़े ही तेजस्वी, शक्तिशाली, प्रतापी सम्राट थे। उन्हें तेज, सुंदरता व औषधि विज्ञान का वरदान प्राप्त था। उन्होंने ही श्रेष्ठ औषधियों तथा सोमरस का अविष्कार किया था। महाराज चन्द्र के राज्याभिषेक पर ही सर्वप्रथम वेद मंत्रों का प्रयोग हुआ।
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राजा चन्द्र के वंशज सहस्त्राजित के वंश में भगवान सहस्त्रार्जुन महाबाहु एवं कोष्टा के वंश में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। इनकी कीर्ति व यशगान वेदों और पुराणों में उल्लेखित है। महाराज कृर्तवीर्य ने वर मांगा कि मुझे ऐसा यशस्वी और प्रतापी पुत्र दीजिए, जिसका यश ब्रह्मांड में फैले व जिसे आपके अतिरिक्त कोई जीत न सके। भगवान विष्णु ने ऐसा ही वरदान दिया।
भगवान विष्णु के वरदान से कार्तिक शुक्ल सप्तमी को पुत्र प्राप्त हुआ, जिसका नाम अर्जुन रखा गया। जिसे इतिहास में भगवान सहस्त्रार्जुन महाबाहु के नाम से प्रसिद्धि मिली। भगवान विष्णु के 27 अवतारों में इन्हें भी एक अवतार माना गया है। इनके द्वारा रावण भी एक युद्ध में पराजित हुआ था। सहस्त्रबाहु की जयंती पर गणमान्य नागरिक एवं पदाधिकारी कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन बस्तर जिला दंड सेना कलार समाज ने किया था।