नई दिल्ली, 06 जनवरी। केंद्र सरकार ने ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे चरण के तहत 7 राज्यों में 20 गीगा वाट के नवीकरणीय ऊर्जा ट्रांसमिशन सिस्टम तैयार किए जाने को मंजूरी दी है। 5 सालों की परियोजना पर लगभग 12,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे 10750 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
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मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस परियोजना के तहत गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में ग्रिड इंटीग्रेशन और पावर इवेक्युएशन का काम किया जाएगा।
#Cabinet approves Intra-State Transmission System – Green Energy Corridor Phase-II
The scheme will help in achieving the target of 450 GW installed RE capacity by 2030#CabinetDecisions pic.twitter.com/UNwJQ3C6A3 — PIB India (@PIB_India) January 6, 2022
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इस परियोजना में कुल 12,031 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसमें केंद्रीय वित्तीय सहायता परियोजना खर्च की 33 प्रतिशत यानी 3970.34 करोड़ होगी।
आज कैबिनेट की बैठक में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के फेज-2 को स्वीकृति मिली है। इस परियोजना पर लगभग 12,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे 10750 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण होगा: केंद्रीय मंत्री @ianuragthakur#CabinetDecisions pic.twitter.com/6DHFp5t6sB
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) January 6, 2022
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परियोजना के फायदे
परियोजना से साल 2030 तक अक्षय ऊर्जा इंस्टॉल्ड क्षमता को 450 गीगाबाइट किए जाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इससे लंबी अवधि के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी। साथ ही पर्यावरण अनुकूल विकास होगा और बड़े स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार सृजन होगा।