नई दिल्ली। कभी-कभी ऐसा लगता है कि शरीर में बिल्कुल भी ताकत नहीं है। हमेशा थकान बनी रहती है। कुछ भी काम करने में आलस्य लगता है। शरीर में थकान और कमजोरी के वैसे तो बहुत से कारण हैं लेकिन अगर आपके शरीर में फॉलेट की कमी हो गई है तो यह समस्या और ज्यादा हो सकती है।
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फॉलेट की कमी से शरीर का फंक्शन सही से काम नहीं करता है। फॉलेट को विटामिन बी 9 कहते हैं। फॉलेट शरीर में अगर पर्याप्त मात्रा में हो तो शरीर का फंक्शन सही से होता है। प्रेग्नेंट महिलाओं में खासकर इसकी जरूरत ज्यादा होती है। फॉलेट की कमी से थकान, कमजोरी, मुंह में छाले और स्मरण से संबंधित दिक्कतें होने लगती है।
फॉलेट की जरूरत क्यों
फॉलेट शरीर में रेड ब्लड सेल्स और डीएनए बनाता है। रेड ब्लड सेल्स में मौजूद हीमोग्लोबिन ही पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है और वहां से कार्बन डाईऑक्साइड को बाहर कर देता है। दूसरी ओर डीएनए कोशिका के अंदर जेनेटिक मैटेरियल है। डीएनए में खराबी होने से कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
फॉलेट कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने में मदद करता है यानि एनर्जी को बनाने में फॉलेट की भी जरूरत होती है। चूंकि प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण के विकास के लिए खून और भ्रूण में किसी तरह का विकार न हो, इसके लिए डीएनए की बहुत खास जरूरत होती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में फॉलेट की अत्यधिक भूमिका है। इसी से समझा जा सकता है कि फॉलेट क्यों इतना हमारे लिए जरूरी है।
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फॉलेट की कमी के लक्षण
फॉलेट की कमी से स्किन का रंग मटमैला या पीलापन होने लगता है। इस कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। थकान बहुत ज्यादा होने से चिड़चिड़ापन भी हो सकता है। चक्कर और कमजोरी फॉलेट की कमी के मुख्य लक्षण हैं। जीभ में लालीपन और कमजोरी होने लगती है।
कितने फॉलेट की जरूरत
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिकएक वयस्क इंसान को रोजाना 400 माइक्रोग्राम फॉलेट की जरूरत होती है लेकिन प्रेग्नेंट महिला को हर दिन 600 से 800 माइक्रोग्राम फॉलेट की जरूरत होती है।
कैसे पूरा करें फॉलेट की कमी
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कई नेचुरल चीजों में फॉलेट पाया जाता है। हरी मटर, बींस और फलीदार सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में फॉलेट पाया जाता है। इसके अलावा नीबू, संतरा जैसे साइट्रस फ्रूट में फॉलेट पाया जाता है। जितना अधिक हरी पत्तेदीरा सब्जियां खाएंगे, उतना अधिक आपको फॉलेट मिलेगा। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट, मीट, सी फूड और अंडा में भी फॉलेट पाया जाता है।