Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. क्षेत्रीय
  3. डिजिटल अरेस्ट: एक खतरनाक साइबर फ्रॉड जिससे बचना जरूरी!

डिजिटल अरेस्ट: एक खतरनाक साइबर फ्रॉड जिससे बचना जरूरी!

By HO BUREAU 

Updated Date

Digital Arrest: आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, और “डिजिटल अरेस्ट” इनमें से एक नया और बेहद खतरनाक फ्रॉड है। यह अपराध खासतौर पर उन लोगों को निशाना बनाता है जो सरकारी एजेंसियों के नाम से आने वाली कॉल्स से घबरा जाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है, इससे कैसे बचा जाए और सरकार इसके खिलाफ क्या कदम उठा रही है।

पढ़ें :- व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की की तीखी बहस: यूक्रेन-अमेरिका संबंधों में नया मोड़

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट एक साइबर अपराध है जिसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ED), नारकोटिक्स ब्यूरो (NCB), या किसी अन्य सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। उन्हें झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी जाती है और फिर उनसे पैसों की उगाही की जाती है। यह अपराध अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है, जिससे इसे पकड़ पाना कठिन हो जाता है।

डिजिटल अरेस्ट कैसे किया जाता है?

डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड को कुछ मुख्य चरणों में अंजाम दिया जाता है:

पढ़ें :- अमेरिका-यूक्रेन मिनरल डील: वैश्विक राजनीति में नया मोड़:
  1. पहला संपर्क (Fake Call या Video Call)
  1. झूठे आरोप और दबाव बनाना
  1. निगरानी में रखना (Digital Surveillance)
  1. पैसे की मांग करना
  1. पैसे ट्रांसफर होते ही अपराधी गायब

वास्तविक घटनाएं: बड़े बिजनेसमैन भी हुए शिकार

डिजिटल अरेस्ट सिर्फ आम लोगों को ही नहीं बल्कि बड़े बिजनेसमैन और शिक्षित लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है। कुछ प्रमुख घटनाएं:

  1. वर्धमान ग्रुप के एमडी एसपी ओसवाल का मामला
  1. आम नागरिकों पर असर

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

  1. शांति बनाए रखें और घबराएं नहीं
    • किसी भी अज्ञात कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें।
    • वीडियो कॉल पर किसी को भी अपनी निजी जानकारी न दें।
  2. सोच-समझकर निर्णय लें
    • भारत में कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन डिजिटल अरेस्ट नहीं करती।
    • कोई भी कोर्ट या पुलिस वीडियो कॉल के जरिए जांच नहीं करती।
  3. तुरंत कार्रवाई करें
    • अगर कोई आपको धमकाकर पैसे मांग रहा है, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
    • साइबर क्राइम की आधिकारिक वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज करें।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

निष्कर्ष

पढ़ें :- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005: पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दिशा में एक कदम

डिजिटल अरेस्ट एक बेहद खतरनाक साइबर फ्रॉड है, जिससे बचने के लिए सतर्क रहना जरूरी है। सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस पर काम कर रही हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि आम लोग खुद जागरूक रहें। किसी भी फर्जी कॉल या धमकी भरी बातचीत से डरने की जरूरत नहीं है। सही कदम उठाएं, सतर्क रहें और अपने परिवार तथा दोस्तों को भी इस बारे में जागरूक करें।

डिजिटल सुरक्षा आपके हाथ में है! सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

Advertisement