अंबाला में बढ़ती गर्मी ने बढ़ाई चिंता, प्रशासन ने पशुओं को हीटवेव से बचाने के लिए किए खास इंतज़ाम
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हरियाणा के अंबाला जिले में तापमान ने एक बार फिर अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दिनों से गर्म हवाएं और रिकॉर्ड तोड़ तापमान ने न केवल आम जनता बल्कि पशुओं के जीवन को भी मुश्किल में डाल दिया है। प्रशासन ने इस गंभीर स्थिति को भांपते हुए पशुओं के लिए विशेष इंतज़ाम करने शुरू कर दिए हैं ताकि उन्हें हीट स्ट्रोक, पानी की कमी और थकावट से बचाया जा सके।
गर्मी में पशुओं की बढ़ती मुश्किलें
गर्मी का सीधा असर दूध देने वाले पशुओं पर देखा जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, जैसे-जैसे तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच रहा है, वैसे-वैसे दूध उत्पादन में कमी, भूख न लगना, और अत्यधिक पसीना आना जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों ने बताया कि उनके मवेशी दिन के समय सुस्त पड़े रहते हैं और उनकी सेहत पर असर दिखने लगा है।
प्रशासन के विशेष उपाय
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अंबाला जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने पशुओं की सुरक्षा के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं:
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शेड की व्यवस्था: खुले में बंधे पशुओं के लिए अस्थायी और स्थायी शेड बनाए जा रहे हैं ताकि उन्हें धूप से राहत मिल सके।
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ठंडे पानी की सुविधा: जगह-जगह पानी की टंकियां और कुंड बनाए गए हैं जिनमें समय-समय पर ठंडा और साफ पानी डाला जा रहा है।
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पोषण युक्त आहार: पशुओं को गर्मियों में उपयुक्त मिनरल मिक्सचर, गुड़-चोकर आदि दिया जा रहा है जिससे उनकी ऊर्जा बनी रहे।
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मेडिकल कैंप: गांव-गांव पशु स्वास्थ्य कैंप लगाए जा रहे हैं ताकि समय पर इलाज और जांच की सुविधा मिल सके।
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पशुपालकों को दिए गए सुझाव
पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को भी गर्मी से बचाव के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं:
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पशुओं को दोपहर की तेज धूप में बाहर ना रखें।
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रोजाना साफ और ठंडा पानी उपलब्ध कराएं।
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हरा चारा और छाया में रखने की व्यवस्था करें।
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हीट स्ट्रोक या कमजोरी दिखने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
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हीटवेव के खतरे और चेतावनी
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले सप्ताह में तापमान और बढ़ सकता है। ऐसे में पशुपालन और खेती-किसानी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। जानकारों का मानना है कि अगर समय रहते उचित उपाय नहीं किए गए तो पशु मृत्यु दर में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे आर्थिक नुकसान भी होगा।
स्थानीय प्रशासन की तत्परता
अंबाला के जिला उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी पशु चिकित्सा केंद्र और पंचायतें गर्मी के इस मौसम में सतर्क रहें और जरूरतमंद लोगों की तुरंत सहायता करें। इसके अलावा, ग्रीष्मकालीन पशु देखभाल अभियान के तहत हर पंचायत में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
जनता की भूमिका भी जरूरी
प्रशासन के साथ-साथ समाज और पशुपालकों की जिम्मेदारी भी अहम है। कुछ स्थानों पर एनजीओ और गौशालाएं भी सक्रिय हैं जो गर्मी में पशुओं के लिए फैन, वाटर स्प्रे और पोषक आहार की व्यवस्था कर रही हैं।
निष्कर्ष
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गर्मी का असर केवल इंसानों पर नहीं बल्कि जानवरों पर भी समान रूप से पड़ता है। अंबाला में जिला प्रशासन द्वारा लिए गए तत्काल और असरदार कदम प्रशंसनीय हैं। लेकिन इस प्रयास को और सफल बनाने के लिए जनभागीदारी और निरंतर निगरानी बेहद जरूरी है। आने वाले समय में अगर यह प्रयास पूरे राज्य में लागू होते हैं, तो निश्चित ही गर्मियों में पशुओं की जान बचाई जा सकेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी राहत मिलेगी।