लखनऊ। भारत और इंडिया वाली बहस में क्या सपा फंस गई है । क्या अखिलेश के लिए समर्थन और विरोध एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई है। ये सवाल क्यों तो वो आगे आपको बताएंगे कि आखिकार सियासी माजरा है क्या, क्योंकि सपा के लिए भी बीजेपी का विरोध करना मुश्किल हो रहा है मगर उससे पहले अखिलेश यादव के इस ट्वीट को देखिए।
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जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव पोस्ट करते हुए बीजेपी को उसके नाम से अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘पार्टी’ को निकालकर ‘दल’ किए जाने की सलाह दे रहे है। अखिलेश ने लिखा कि वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है।
फिर भी अगर संकीर्ण सोचवाली भाजपा और उसके संगी-साथी किसी भाषा के शब्द को गुलामी का प्रतीक मानकर बदलना ही चाहते हैं तब तो सबसे पहले भाजपा को भी अपना एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अपने नाम में से अंग्रेज़ी का शब्द ‘पार्टी’ हटाकर स्वदेशी परंपरा का शब्द ‘दल’ लगाकर अपना नाम भाजपा से भाजद कर देना चाहिए।
दरअसल देश का नाम भारत होना चाहिए या इंडिया इसे लेकर इन दिनों सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच जबर्दस्त जंग छिड़ी हुई है. बीजेपी जहां इंडिया को गुलामी का प्रतीक बता रही है तो वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि मोदी सरकार विपक्ष के इंडिया गठबंधन से डरकर ये सब कर रहा है। दोनों तरफ से इस मुद्दे को लेकर जमकर बयानबाजी देखने को मिल रही है, लेकिन यूपी में सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के लिए इसका जवाब देना मुश्किल हो रहा है।
भारत बनाम इंडिया की लड़ाई में सपा बुरी तरह फंस गई है। इस पूरे विवाद में सपा इसलिए फंस गई हैं, क्योंकि देश का नाम भारत करने की मांग सबसे पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने ही की थी जी सपा के सबसे बड़े चहरे मुलायम भी ये ही चाहते थे कि देश को भारत के नाम से जाना जाए ।
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साल था 2004.. जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने ये प्रस्ताव यूपी विधानसभा में रखा था कि संविधान में ‘इंडिया देट इज भारत’ जो लिखा है उसे संशोधित करके ‘भारत देट इज इंडिया’ रखा जाए। ये प्रस्ताव विधानसभा में पास भी हो गया, लेकिन मुलायम सिंह देश का नाम नहीं बदल पाए क्यों कि वो प्रधानमंत्री नहीं थे। मगर अब सपा की मुश्किल ये है कि वो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और अब बीजेपी ऐसा करने की मांग कर रही है।
ऐसे में बीजेपी का विरोध करना सपा की मजबूरी बन गई है। सपा न तो खुलकर इसका विरोध ही कर पा रही है और न समर्थन। सपा बस ये कह रही है कि जब मुलायम सिंह इस प्रस्ताव को लाए थे तो बीजेपी ने इसका समर्थन क्यों नहीं किया। वहीं यूपी की आवाम भी इंडिया और भारत की बहस में अपनी राय रख रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जी20 के आयोजन की तैयारी जोरो-शोरों पर चल रही है।
इसी दौरान सामने आए राष्ट्रपति के डिनर निमंत्रण पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा होने पर देश का नाम बदले जाने पर राजनीति तेज हो गई है। पूरा विपक्ष इसे लेकर केंद्र सरकार का विरोध कर रहा है। वैसे तो मायावती भी बकयादा इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों पर वार करते हुए ये कहे चुकी है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष जानबूझ कर इस मुद्दे को हवा दे रहा है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल दे।
मगर दिलचस्प बात ये है कि अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने देश का नाम बदले जाने की चर्चाओं के बीच बीजेपी को अपना नाम बदलने की सलाह भले ही दे दी है। मगर इतना जरूर है कि उन्हें ये भी बताना चाहिए कि जब उनके पिता और सपा के संस्थापक स्वर्गीय मुलायम भी अगर भारत नाम की तम्माना रखते तो फिर उन्हें भारत नाम से दिक्कत क्यों । क्या ये सिर्फ सियासत की मजबूरी थी।