अंबाला। साहबे कमाल श्री गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर अंबाला शहर के जंडली गांव के पुरातन गुरुद्वारा साहिब से विशाल नगर कीर्तन निकाला गया। जिसमें भारी संख्या में संगत ने अपनी हाजरी लगवाई। सारे रास्ते कीर्तन करते नाम जपते संगत चलती रही। कड़ाके की ठंड में भी पंच प्यारे नंगे पांव चल रहे थे। पंच प्यारे का फूल मालाओं और सिरपाओं से स्वागत किया गया।
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गुरु महाराज की पालकी के आगे सड़क को झाड़ू से पानी डालकर साफ किया जा रहा था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। उनकी कुर्बानी को हम भुला नहीं सकते। उन्हीं की वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उनकी लड़ाई जुल्म के खिलाफ थी न की किसी धर्म के। गुरु जी का कहना था कि जुल्म करना और सहना दोनों ही गलत है। दुश्मन के लिए भी उनके मन में दया भाव था। उनका यह उपकार हम कभी नहीं चुका सकते।