पाकिस्तानी आतंकवाद का खोखला सच: न राइफल अपनी, न इरादा स्थायी
पाहलगाम आतंकी हमला न केवल एक दिल दहला देने वाली घटना थी, बल्कि इसने पाकिस्तान के छिपे हुए एजेंडे की पोल भी खोल दी है। हालिया खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने 40 लाख से अधिक भाड़े के लड़ाकों को भारत में घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों के लिए तैनात किया है। इन आतंकियों के पास न तो अपनी राइफलें हैं, न ही कोई ठोस आदर्श या वैचारिक प्रतिबद्धता—ये सिर्फ पैसों के लिए लड़ रहे हैं।
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उधार की बंदूक और लूटी रणनीति
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन आतंकियों को पाकिस्तान के आतंकी संगठनों जैसे कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद द्वारा तैयार किया जा रहा है, लेकिन असलियत यह है कि उन्हें उधार की राइफलें, स्थानीय लोगों से छीने गए सामान, और फर्जी दस्तावेजों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यह पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली और आतंकी नेटवर्क की संगठनहीनता को दर्शाता है।
भाड़े के सिपाही: युद्ध नहीं, सौदे के लिए आए हैं
इन तथाकथित आतंकवादियों में ज्यादातर अपराधी पृष्ठभूमि से आते हैं, जिन्हें सिर्फ पैसों और ड्रग्स के लालच में सीमा पार भेजा गया है। भारत में घुसपैठ के बाद इनका मुख्य लक्ष्य स्थानीय अशांति फैलाना, राजनीतिक दबाव बनाना और आतंक का वातावरण तैयार करना है। लेकिन इनकी असली ताकत सिर्फ उतनी है जितनी उन्हें पैसा और निर्देश मिलते हैं। ये लड़ाके किसी विचारधारा के नहीं, बल्कि सौदेबाज़ी की उपज हैं।
सेना और सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी
भारत की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं और इन भाड़े के आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। सेना, CRPF, NSG, और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से कई आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया जा चुका है। अब इन लड़ाकों का मनोबल भी टूटता नजर आ रहा है क्योंकि भारत की रणनीति अब प्रतिक्रिया नहीं, प्रतिशोध पर आधारित है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की किरकिरी
पाकिस्तान की यह रणनीति केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बेनकाब हो रही है। कई देशों और संगठनों ने इस पर चिंता जताई है कि पाकिस्तान आतंक का निर्यातक बन चुका है और उसकी नीतियां दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा बनती जा रही हैं।