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PM Modi का ‘गुजरात के गुस्से’ वाला मजाक, गौतम अडानी की तारीफ से जुड़ा बयान बना चर्चा का विषय

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पीएम मोदी का ‘गुजरात के गुस्से’ वाला बयान: तारीफ, मजाक या संकेत?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय केरल दौरे पर थे, जहां उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए एक सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने एक व्यंग्यात्मक और मजाकिया अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा, “कुछ लोग कहते हैं कि अडानी की तारीफ करने पर गुजरात गुस्सा हो जाता है।” यह टिप्पणी सुनकर सभा में ठहाके गूंज उठे, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बयान की व्याख्या अलग-अलग अंदाज में की जा रही है।

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मोदी का यह बयान एक ऐसे समय आया है जब विपक्ष लगातार मोदी-अडानी रिश्तों पर सवाल उठाता रहा है। हालाँकि, प्रधानमंत्री ने इसे हास्य और व्यंग्य के साथ पेश कर यह संकेत देने की कोशिश की कि गुजरात और गुजरातियों को उद्यमिता, विकास और नवाचार की प्रशंसा पसंद है, न कि उससे गुस्सा आता है।

केरल में गुजरात मॉडल की तारीफ

पीएम मोदी ने अपने भाषण में गुजरात मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि “देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो हर राज्य को गुजरात की तरह उद्योग, व्यापार और नवाचार के क्षेत्र में मजबूत बनना होगा।” उन्होंने गौतम अडानी का नाम लिए बिना व्यापारियों और उद्यमियों को ‘राष्ट्र निर्माण का स्तंभ’ बताते हुए, उनका सम्मान करने की बात कही।

मोदी ने यह भी कहा कि “जो लोग उद्यमियों को टारगेट करते हैं, वे भारत की आर्थिक प्रगति को कमजोर करना चाहते हैं।” यह सीधा संदेश उन विपक्षी दलों के लिए था जो कॉरपोरेट सेक्टर को निशाना बनाकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं।

क्या था ‘गुजरात का गुस्सा’ मजाक?

प्रधानमंत्री मोदी की ‘गुजरात के गुस्से’ वाली लाइन का सीधा संदर्भ इस धारणा से था कि अडानी समूह को लेकर मोदी सरकार की नजदीकी पर कई बार आरोप लगते हैं। उन्होंने इस धारणा को व्यंग्यात्मक अंदाज में बदलते हुए जनता को यह संदेश देने की कोशिश की कि विकासशील सोच को संकीर्ण मानसिकता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

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मोदी के अनुसार, “अगर आप किसी गुजराती की तारीफ नहीं करोगे तो क्या वह गुस्सा करेगा? नहीं! गुजरात में लोग आपकी आलोचना को भी आत्मसात करते हैं, लेकिन विकास की अनदेखी नहीं कर सकते।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

जहां पीएम मोदी का बयान हल्के-फुल्के अंदाज में था, वहीं विपक्ष ने इसे फिर एक बार मोदी-अडानी गठजोड़ का उदाहरण बताया। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “मजाक के पर्दे में सच्चाई छिपाई जा रही है।” वहीं कुछ अन्य नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री को संवेदनशील मुद्दों पर इस तरह के चुटकुले नहीं करने चाहिए।

हालांकि, बीजेपी ने इस बयान को प्रधानमंत्री की स्पष्टवादिता और आत्मविश्वास का प्रतीक बताया और कहा कि वह किसी भी मुद्दे को लेकर जनता के सामने खुलकर बोलते हैं।

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