नई दिल्ली। 47 साल बाद पहली बार रूस चंद्रमा पर अपना मून मिशन भेज रहा है। नाम है लूना-25 । ये मिशन भारत के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के करीब एक महीने लॉन्च ह चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरना है। लेकिन रूस का लूना-25 की यात्रा जल्दी पूरी होगी।
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वह 11 अगस्त की सुबह करीब पौने पांच बजे लॉन्च होगा। 21 या 22 अगस्त को वह चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा ।। इसकी वजह क्या है- रूस का रॉकेट सोयुज 2।1बी रॉकेट की ऊंचाई 46।3 मीटर है। जबकि GSLV-Mk3 की ऊंचाई 49।13 मीटर है। सोयुज का व्यास 2।5 मीटर है।
जीएसएलवी का व्यास 2।8 मीटर है। सोयुज का वजन 3।12 लाख किलोग्राम है। जीएसएलवी का वजन 4।14 लाख किलोग्राम है लेकिन हैरानी इस बात की है कि सोयुज रॉकेट 401।65 करोड़ रुपए का है। जबकि जीएसएलवी रॉकेट 389।23 करोड़ रुपए है।
यानी रूस का रॉकेट काफी महंगा है। लूना-25 को ग्लोब मिशन भी कहते हैं। लूना-25 पांच दिन की यात्रा करके चंद्रमा के पास पहुंचेगा। फिर पांच से सात दिन वह चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसके बाद दक्षिणी ध्रुव के पास तय कितय किए गए तीन स्थानों में से किसी एक पर लैंड करेगा।