कुरूक्षेत्र का कालेश्वर मंदिर : जहां नंदी के बिना विराजमान है महादेव, सावन में यहां पूजा करने से अकाल मृत्यु दोष होता है समाप्त। इस मंदिर का लंकापति रावण से जुड़ा है खास किस्सा। श्रावण मास आज यानी 22 जुलाई से आरंभ हो चुका है। जानिए मंदिर में आखिर क्यों नहीं विराजमान है नंदी। मंदिर में पूजा अर्चना से मृत्यु दोष से मिलती है मुक्ति।
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कुरूक्षेत्र। कुरूक्षेत्र का कालेश्वर मंदिर : जहां नंदी के बिना विराजमान है महादेव, सावन में यहां पूजा करने से अकाल मृत्यु दोष होता है समाप्त। इस मंदिर का लंकापति रावण से जुड़ा है खास किस्सा। श्रावण मास आज यानी 22 जुलाई से आरंभ हो चुका है। जानिए मंदिर में आखिर क्यों नहीं विराजमान है नंदी। मंदिर में पूजा अर्चना से मृत्यु दोष से मिलती है मुक्ति।
सरस्वती नदी के तट पर स्थापित है कालेश्वर महादेव मंदिर। हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक श्रावण मास माना जाता है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इसे शुभ माना जाता है। पूरे श्रावण मास विशेष पूजा, व्रत अनुष्ठान और त्योहार होते हैं जिसमें श्रावण सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज, नाग पंचमी, शिवरात्रि व्रत और रक्षाबंधन आदि शामिल है। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के विश्व प्रसिद्ध श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में लंका अधिपति रावण ने भी भगवान शिव की पूजा की थी।
यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव के साथ नदी विराजमान नहीं हैं। श्रावण मास (22 जुलाई) सोमवार को प्रीति योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और श्रवण नक्षत्र का सहयोग भी बन रहा है। मान्यता है कि इन शुभ योग में महादेव की पूजा अर्चना करने पर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रावण मास में पांच सोमवार पड़ना बहुत शुभ माना जाता है। इस बार श्रवण मास में 22, 29 जुलाई के अलावा 5, 12 और 19 अगस्त के सोमवार को मिलाकर कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं।
शुक्रवार 2 अगस्त को श्रावण मास की शिवरात्रि पड़ेगी। इस बार श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 2 अगस्त को दोपहर 3:26 से होगा और 3 अगस्त को दोपहर 3:50 पर समाप्त होगा। बता दें कि श्रावण मास को सावन का महीना भी कहते हैं। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। यदि सोमवार को जल चढ़ाकर या व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाए तो उनकी कृपा मिलती है। सोमवार को शिव पार्वती की एक साथ पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। कुंवारी कन्याओं को यह व्रत रखने से योग्य वर की प्राप्ति होती है।