पेशावर, 16 फरवरी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जुल्म रुकने का नाम नहीं ले रहा है। फरवरी में ही अल्पसंख्यकों पर हमले की तीसरी घटना में पेशावर के एक सिख हकीम की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। इससे पहले इसी महीने पेशावर में ही दिन दहाड़े एक पादरी की हत्या कर दी गयी थी। कुछ दिन पहले सिंध प्रांत में एक हिन्दू व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इन मसलों पर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक आंदोलित हैं।
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पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न व उनकी हत्याओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। अभी पादरी व हिंदू व्यापारी की हत्या का मामला शांत नहीं हुआ था कि अब पेशावर में एक सिख हकीम को निशाना बनाया गया है। पेशावर में पपिंदर सिंह नाम के एक स्थानीय सिख को उस समय गोली मारी गयी, जब वह अन्य सिख मित्रों के साथ कहीं जा रहे थे। इस गोलीकांड में पपिंदर सिंह की मृत्यु हो गयी और उनके साथी सिख राहगीर गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में पता चला कि पपिंदर सिंह हकीम थे और पेशावर में ही उनका दवाखाना था।
पाकिस्तान में सिखों पर हमले पहले भी होते रहे हैं। वर्ष 2010 में पेशावर के मूल निवासी जसपाल सिंह का अपहरण करउनका सिर काट दिया गया था। 2016 में खैबर पख्तूनख्वा से प्रांतीय विधानसभा के सदस्य और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष स्वर्ण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2018 में पेशावर के एक स्थानीय सिख नेता चरणजीत सिंह सागर की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा पिछले साल पेशावर में ही एक सिख हकीम सतनाम सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।