नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया है कि वह भय का माहौल न बनाए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के कई आबकारी अधिकारियों ने शिकायत की है कि उन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शराब अनियमितता मामले में फंसाने को लेकर दबाव बनाने के लिए धमकी दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिकाओं में पक्षकार के रूप में शामिल होने की मांग की है। इस मांग पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ में सुनवाई हुई।
ईडी पर सीएम को फंसाने का आरोप
छत्तीसगढ़ सरकार ने आरोप लगाया है कि प्रवर्तन निदेशालय सीएम को फंसाने की कोशिश कर रहा है। भूपेश बघेल सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अधिकारियों ने प्रवर्तन निदेशालय पर उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार करने की धमकी देने का आरोप लगाया है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय बौखलाया हुआ है और आबकारी अधिकारियों को धमका रहा है।
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ईडी ने आरोपों को बताया गलत
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एसवी राजू पीठ के सामने पेश हुएं। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जांच एजेंसी शराब अनियमितताओं की जांच कर रही है। पीठ ने ईडी से आबकारी अधिकारियों में भय का माहौल नहीं बनाने के लिए कहा। पीठ ने टिप्पणी की कि इस तरह के व्यवहार के कारण एक असली वजह भी शक के दायरे में आ जाती है।
क्या है मामला
प्रवर्तन निदेशालय 2019 से 2022 के बीच राज्य में शराब अनियमितताओं की जांच कर रहा है। जिसमें कथित तौर पर भ्रष्टाचार किया गया था। आरोपों में कहा गया है कि शराब खरीद के बदले डिस्टिलरों से रिश्वत वसूली गई थी।
मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि ईडी अब ऐसी हो गई है कि कोई किसी का नाम ले ले तो ईडी उसे नोटिस भेज देती है। ईडी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रदेश के मीडिया पैनलिस्ट राजीव चक्रवर्ती ने कहा कि ईडी एक स्वतंत्र संस्था है। उसके ऊपर प्रश्न चिन्ह लगाना दुखद है।