वाराणसी। धर्म नगरी काशी में शनिवार को 30 देशों के 1600 मंदिरों का महासम्मेलन शुरू हुआ। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में इसका शुभारंभ किया। इस मौके पर संघप्रमुख ने कहा कि लोग देश और संस्कृति के लिए त्याग करें।
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छोटे-छोटे मंदिरों की बनें सूचीः संघ प्रमुख
भागवत ने कहा कि हमें गली के छोटे-छोटे मंदिरों की सूची बनानी चाहिए। वहां रोज पूजा हो, सफाई रखी जाए। मिलकर सभी आयोजन करें। अपना-उनका छोड़कर मंदिरों के लिए एक साथ आगे आएं। कहा कि जिसको धर्म का पालन करना है वो धर्म के लिए सजग रहेगा। निष्ठा और श्रद्धा को जागृत करना है। छोटे स्थान पर छोटे से छोटे मंदिर को समृद्ध बनाना है। अब समय आ गया है, देश और संस्कृति के लिए त्याग करने की।
हिन्दू, बौद्ध, जैन मंदिरों और गुरुद्वारों के करीब 1000 प्रबंधक मौजूद
आपको बता दें कि पहली बार वाराणसी में इतने बड़े स्तर पर इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (ITCX) हो रहा है। इसमें हिन्दू, बौद्ध, जैन मंदिरों और गुरुद्वारों के करीब 1000 प्रबंधक मौजूद हैं। वहीं 600 मंदिरों के प्रतिनिधि वर्चुअली जुड़े हैं।
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मंदिर हमारी परंपरा का अभिन्न अंग
मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर हमारी परंपरा का अभिन्न अंग हैं। पूरे समाज को एक लक्ष्य लेकर चलाने के लिए मठ-मंदिर चाहिए। कभी हम गिरे, कभी दूसरों ने धक्का मारा, लेकिन हमारे मूल्य नहीं गिरे। हमारे जीवन का लक्ष्य एक ही है, हमारा कर्म और धर्म। यह लोक भी ठीक करेगा और परलोक भी। हमारे मंदिर, आचार्य, देवस्थान, यति साथ चलते हैं, सभी सृजन के लिए हैं।
मोहन भागवत से पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि हर सनातन का घर एक मंदिर है। मंदिर ही ऊर्जा है। इन मंदिरों को जोड़कर भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाएंगे। मंदिरों को जोड़कर मानस को सांस्कृतिक रूप से एक करेंगे। मंदिर जुड़ेंगे तो मन भी जुड़ेंगे। हमारी संस्कृति भी जुड़ेगी।
कहा कि हमारे मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं सेवा, चिकित्सा, शिक्षा का केंद्र रहे हैं। आतताइयों ने अतीत में हमारे मंदिर और संस्कृति को क्षति पहुंचाई। उनके संसाधनों को क्षीण किया। मगर, हमारा इतिहास हमेशा ऊंचा रहा।
कहा कि गौरवशाली इतिहास से आने वाली पीढ़ी को रूबरू कराएंगे। इसके बल पर हमारी संस्कृति पुष्पित और पल्लवित है। उत्सवों का देश भारत है। सनातन काल से भारतीय संस्कृति पुरातन और प्रेरणादायी है।