नई दिल्ली, 28 मार्च। आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक- 2022 सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। विधेयक पुलिस को अपराध के दोषी और अन्य की जांच और पहचान के लिए बायोमेट्रिक जानकारी लेने का अधिकार देता है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने सदन में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक 2022 को पेश किया, जिसके बाद विपक्षी नेताओं ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई। वहीं इस दौरान जब विधेयक को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी ने लोकसभा में पेश किया। तो विपक्षी दलों ने विधेयक को पेश किए जाने विरोध किया। जिसके बाद में विधेयक को पेश किए जाने के लिए मत विभाजन की मांग की गई। विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 120 और विरोध में 58 मत पड़े।
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मैं @adhirrcinc को बताना चाहता हूं कि मैंने 2019 में लोकसभा का पर्चा भरा है, अगर मेरे विरुद्ध एक भी केस हो और एक मिनट के लिए भी मैं थाने और जेल में गया हूं तो मैं अभी राजनीति से सन्यास ले लूंगा- लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी#Uttarpradesh @ajaymishrteni pic.twitter.com/c0l9eVGrlq
— India Voice (@indiavoicenews) March 28, 2022
जानें क्या है आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक ?
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संसद में पेश हुआ आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक अपराधियों की यूनीक पहचान से जुड़ा एक विधेयक है, जिसका मकसद अपराधियों की बायोग्राफिक डिटेल्स को सुरक्षित रखना है। इस विधेयक को लाने का मकसद अपराधियों की पहचान को संरक्षित करना है, जो भविष्य में भी काम आ सकती है। जानकारी के मुताबिक ये बिल अपराधियों और ऐसे बाकी व्यक्तियों की पहचान के लिए पुलिस को उनके अंगों और निशानों की माप लेने का अधिकार देता है। जिसके तहत अपराधियों की अंगुलियों के निशान, पैरों और हथेली के निशान, रेटिना स्कैन, जैविक नमूने, फोटोग्राफ, आंख की पुतली, दस्तखत और लिखावट से जुड़े कई सबूतों को संरक्षित रखा जाएगा।
अभी तक क्या कानून रहा है ?
हमारे देश में अपराधियों की पहचान से जुड़े मामलों की बात करें तो फिलहाल ‘द आइ़डेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट 1920’ लागू है। ये काफी पुराना है और अंग्रेजों के समय से ही चलता आ रहा है। इस कानून की कुछ सीमाएं हैं। जैसे कि इस कानून के तहत ये अपराधियों के केवल फिंगर और फुटप्रिंट लेने की ही इजाजत देता है। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही फोटोग्राफ लिए जा सकते हैं। वहीं संसद में पेश नया बिल कानून बनने के बाद ‘द आइ़डेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स ऐक्ट 1920’ की जगह लेगा। कानून बनने के बाद किसी भी मामले में दोषी पाए गए या गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान के लिए पुलिस अधिकारियों को हर तरह की माप लेने का अधिकार होगा।
नए बिल पर आज लोकसभा में क्या हुआ ?
बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान सोमवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने ये बिल संसद में पेश करना चाहा। इस बिल के पेश होने के बाद कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। मनीष तिवारी ने इस बिल को संविधान के आर्टिकल 21 समेत अन्य अनुच्छेदों का उल्लंघन बताया। बतादें कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 का मतलब जीवन के अधिकार से है। इसे जीवन और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षक भी माना गया है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 में बताया गया है कि किसी व्यक्ति को उसके जीवन जीने के अधिकार से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के मुताबिक ही वंचित किया जा सकता है, या फिर नहीं।
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वहीं संसद में पेश इस बिल पर RSP सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने भी मनीष तिवारी की बात का समर्थन करते हुए बिल का विरोध किया है। तृणमूल कांग्रेस नेता प्रो सौगत रॉय ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा कि पुराने कानून में फिंगरप्रिंट और फोटोग्राफ की इजाजत पहले से है। यहां तक कि अपराधी या आरोपी के नार्को टेस्ट की भी इजाजत है तो फिर गृहमंत्री को नए कानून की जरूरत क्यों पड़ी? क्या अपराध इतने बढ़ गए हैं। तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत राय ने कहा कि ये एक गलत विधेयक है, जिसे सदन में पेश किया गया है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए। तो नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी मनीष तिवारी की आपत्ति में जोड़ा कि ये बिल आने से राइट टू प्राइवेसी का भी हनन होगा। BSP के रितेश पांडेय ने भी इस बिल को मूल अधिकारों का हनन बताते हुए विरोध जताया।