संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुज़ूर नबी-ए-करीम सलल्लाहो अलेहि व सल्लम की यौमे पैदाईश के मौके पर अकीदत व मौहब्बत के साथ जश्ने ईदमिलादुन नबी का जुलूस निकाला गया।
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संभल में जश्ने ईदमिलादुन नबी का जुलूस कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया। हर तरफ आशिकाने रसूल का सैलाब उमड़ पड़ा। नगर के अस्पताल चौराहे से जलसे के बाद जुलूसे मौहम्मदी शुरू हुआ जुलूस में खाना-ए-काबा, मदीना-ए-मुनव्वरा, देवा शरीफ दिगर मस्जिद के खुबसूरत नकशे तैयार कर निकाले गए। गुलामाने मुस्तफा के तत्वावधान में यह जुलूस नगर के मौहल्ला जगत, चमन सराय, दरीबा, स्टेट बैंक, आर्य समाज होता हुआ मदरसा अजमल उलूम ठेर पर पहुंचा। यहां से एक बड़ा जुलूस मदरसा अजमल उल उलूम से शुरू हुआ। जिसका नेतृत्व नाज़िम आला कारी तंज़ीम अशरफ ने किया। खग्गू सराय, अंजुमन, दीपा सराय की गलिया से होता हुआ चौक में जाकर समाप्त हुआ। शहर व आसपास के मदरसों एवं मौहल्लों व ग्रामीण क्षेत्रों के मदरसों के बच्चे, तुलबा शामिल हुए। सजे बच्चों ने हाथ में नबी-ए-पाक का झण्डा थम लिया। जगह-जगह लंगर का वितरण किया गया। दीपा सराय चौक में आयोजित जलसे में रसूले पाक की शान और उनकी आमद पर रौशनी डाली गई। इसके बाद तबर्रुककात की ज़ियारत कराई गई।
जश्ने ईदमिलादुन नबी के मोके पर वहीं छोटे बच्चों ने हाथ में रसूले पाक का झण्डा थाम लिया। पत्ती-पत्ती फूल-फूल या रसूल-या रसूल, आका की आमद मरहबा जैसे नारे गूंज उठे। सुबह ही लोग अपने घरों से निकले और काम धाम छोड आका की मौहब्बत में जुलूस की खुबसूरती बढ़ाने को निकल पड़े। जुलूस के दौरान उलेमा ने खिताब भी किया। उलेमाओं ने कहा कि नबी-ए-करीम सलल्लाहो अलेहि वसल्लम तमाम आलम के लिए रहमत बनकर आये। आका के सदके में यह कायनात नबी। आज हम उनकी पैदाईश के मुबारक मौके पर जश्ने मना रहे हैं इसलिए की अगर आका न होते तो दुनिया न बनाई जाती सब कुछ उनके सदके मं है और बरोज़े हश्र वसीला-ए-रसूल ही हमारी निजात का ज़रिया बनेगा। भटके हुए लोगों के लिए हमेशा दरवाज़े खुले हैं आका की मौहब्बत का सुबूत दें और सच्चा लगाव पैदा करें।