उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की दूसरी पारी शुरू हो गई है। भाजपा की सरकार आने से यूपी में माफियाओं के साथ ही कुछ बड़े सरकारी अधिकारियों पर भी कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है। इसमें सबसे पहले सोनभद्र के जिला अधिकारी और उसके बाद गाजियाबाद के एसएसपी का नाम सबसे ऊपर रखा गया। इन दोनों ही अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
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इससे कार्रावाई से अन्य जिलों के बड़े सरकारी अधिकारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है। सभी जिलों के कप्तान और जिला अधिकारी डरे हुए हैं कि जरा सी चूक से निलंबन का लेटर आ जाएगा। वहीं कुछ राजनैतिक जानकार इसे चुनाव से पहले अखिलेश की सरकार के साथ नजदीकियों से भी जोड़कर देख रहें हैं।
सोनभद्र के जिला अधिकारी क्यों हुए निलंबित?
योगी सरकार ने बीते दिनों सोनभद्र के जिला अधिकारी टीके शिबू और गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार को निलंबित कर दिया है। सरकार ने आधिकारिक तौर पर जिला अधिकारी पर कार्रवाई की वजह जनपद में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार, अवैध खनन और चुनाव के लापरवाही बताई गई है।
चुनाव के समय आचार संहिता लग गई, वहीं सोनभद्र के डीएम को जिले का निर्वाचन अधिकारी बनाया गया। चुनाव के समय भी टीके शिबू की लापरवाही उजागर हुई। जब खुले में बिना सील किए पोस्टल बैलट का वीडियो वायरल हुआ तो राजनैतिक माहौल गर्मा गया। इस लापरवाही में जिला अधिकारी टीके शिबू की भूमिका पर सवाल खड़े किए गये। विंध्यांचल मंडल के कमिश्नर को कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सोनभ्रद का कार्यभार देना पड़ा। वहीं डीएम के खिलाफ पहले ही भ्रष्टाचार की कई शिकायतें मिली थी। मामले को सीएम ने संज्ञान में लिया और डीएम टीके शिबू को निलंबित कर दिया गया। फिलहाल वाराणसी के कमिश्नर विभागीय जांच कर रहे हैं।
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गाजियाबाद में लूट के बाद गई एसएसपी की कुर्सी
सोनभ्रद के बाद गाजियाबाद के एसएसपी को भी निलंबित कर दिया गया। आईपीएस पवन कुमार को जनपद में अपराध पर नियंत्रण न कर पाने के लिए निलंबित किया गया। इसके साथ ही उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार की शिकायतें शासन को मिली थी। दरअसल 5 दिन पहले डासना के पेट्रोल पंप कर्मी से करीब 23 लाख की लूट की गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस तस्वीर को शेयर करते हुए प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद लूट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और पुलिस को इस बात की भनक भी नहीं लगी। जिसकी वजह से एसएसपी को सस्पेंड किया गया।
चार IPS अफसरों की शंट पोस्टिंग
इससे पहले भी 4 पुलिस अधिकारियों के नाम तबादले की लिस्ट में शामिल किये गए। लेकिन एडीजी नवनीत सिकेरा और डीआईजी धर्मेंद्र सिंह के नाम की चर्चा खूब हुई। इस पोस्टिंग में एडीजी नवनीत सिकेरा को पीटीएस उन्नाव तो डीआईजी धर्मेंद्र सिंंह को डीआईजी आरटीसी चुनाव बनाकर भेजा गया।
चुनाव से पहले जो आईएस और आईपीएस अधिकारी सपा के साथ कनेक्शन साधने में लगे थे। लोगों का मनाना है कि योगी सरकार सबसे पहले उन अधिकारियों की लिस्ट बना रही है। चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने भी ये बात साफ तौर पर कही थी कि कई अफसर उनके साथ संपर्क में आने की कोशिश में लगे हैं।
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ऐसे में योगी की नई सरकार सबसे पहले इन अधिकारियों को तबादले का फरमान थमाने वाली है। इस बार योगी सरकार छोटे अधिकारियों की अपेक्षा बड़े अधिकारियों निगाह बनाए हुए हैं।
सरकार के निलंबन की कार्रवाई को देखते हुए जिन बड़े अधिकारियों के खिलाफ जन आक्रोश है वो दहशत में हैं। माना जा रहा है जल्द ही सरकार अन्य बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई कर सकती है।