प्रयागराज की पवित्र कुंभ भूमि पर वर्षों से फैले अवैध अतिक्रमण को प्रशासन ने सख्ती से हटाने का अभियान चलाया है। पुलिस और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में कई अस्थायी निर्माण और कब्जे को जमींदोज कर दिया गया। यह कार्रवाई आगामी कुंभ मेले की तैयारियों के तहत की गई है ताकि श्रद्धालुओं को सुविधाजनक, स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिल सके।
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प्रयागराज में कुंभ भूमि पर चला प्रशासन का बुलडोज़र, अवैध अतिक्रमण हटाया गया
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले की तैयारियों के मद्देनज़र प्रशासन ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। कुंभ मेले की पवित्र भूमि पर वर्षों से जमे अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीमों ने व्यापक अभियान चलाया। इस दौरान सैकड़ों अस्थायी झोपड़ियां, दुकानों और निजी कब्जों को जमींदोज किया गया।
कुंभ भूमि पर वर्षों से चल रहा था कब्जा
प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, कुंभ क्षेत्र की कई एकड़ भूमि पर कुछ व्यक्तियों और स्थानीय दुकानदारों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। इन कब्जों में पक्के और कच्चे निर्माण शामिल थे जो कि न केवल अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं, बल्कि कुंभ जैसे वैश्विक धार्मिक आयोजन की गरिमा के भी खिलाफ हैं।
अधिकारियों की सख्ती और प्रशासन की तैयारी
प्रयागराज के जिला अधिकारी और नगर निगम की टीम ने मिलकर कार्रवाई को अंजाम दिया। इससे पहले अतिक्रमण हटाने की नोटिस दी गई थी, लेकिन जब उसका पालन नहीं हुआ, तो प्रशासन ने मजबूती के साथ बुलडोज़र कार्रवाई की। पुलिस बल मौके पर तैनात रहा जिससे किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
कुंभ 2025 की तैयारी को मिला नया मोड़
2025 में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को देखते हुए यह अतिक्रमण हटाना बेहद जरूरी था। कुंभ में करोड़ों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं, ऐसे में भूमि की शुद्धता, स्वच्छता और संरचनात्मक व्यवस्थाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। अतिक्रमण हटने से अब क्षेत्र में टेंट सिटी, घाटों और मूलभूत सुविधाओं के लिए जगह बन सकेगी।
स्थानीय विरोध और प्रशासन की समझाइश
कुछ स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन प्रशासन ने शांतिपूर्वक और कानूनी तरीके से समझाकर मामले को सुलझाया। अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि कुंभ भूमि पर किसी भी प्रकार का निजी कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह अस्थायी हो या स्थायी।
धार्मिक संगठनों का समर्थन
कई धार्मिक संगठनों ने इस प्रशासनिक कदम का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कुंभ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि करोड़ों आस्थाओं का संगम है, और इसे स्वच्छ व व्यवस्थित बनाना हम सब की जिम्मेदारी है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अहम कदम
अवैध निर्माण न केवल भूमि का अतिक्रमण करते हैं बल्कि गंगा किनारे की पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में प्रशासन की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
प्रशासन की आगे की योजना
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आगे भी नियमित अंतराल पर ऐसे अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाए जाएंगे। साथ ही लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे किसी भी पवित्र धार्मिक स्थल की भूमि पर कब्जा न करें। कुंभ भूमि पर अब स्मार्ट प्लानिंग के तहत टॉयलेट्स, पेयजल, आवास और सुरक्षा व्यवस्था की दिशा में तेज़ी से काम होगा।
कुंभ मेला: परंपरा, आस्था और प्रबंधन का संगम
कुंभ मेला न केवल भारत का, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम होता है। इसे सफल बनाने के लिए सरकारी मशीनरी, साधु-संत समाज और आम जनता तीनों का सहयोग जरूरी होता है। प्रशासन की यह कार्यवाही इसी सहयोग की बुनियाद को मज़बूत करती है।