1. हिन्दी समाचार
  2. अन्य खबरें
  3. सीट बंटवारे पर अटकी बात: तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच महागठबंधन में दरार?

सीट बंटवारे पर अटकी बात: तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच महागठबंधन में दरार?

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटे विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज होती जा रही है। खासकर बिहार में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच सहमति न बनने के संकेत मिल रहे हैं। सीटों की संख्या और प्रभावशाली उम्मीदवारों को लेकर रणनीतिक मतभेद उभर आए हैं, जिससे गठबंधन की मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

By  

Updated Date

लोकसभा चुनाव 2024 नज़दीक आते ही देशभर में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए ‘INDIA’ गठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती इस समय सीट बंटवारा बन गई है। खासकर बिहार में जहां राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तनातनी की स्थिति सामने आ रही है।

पढ़ें :- "राहुल गांधी के सवाल पर डॉ. एस. जयशंकर का जवाब: विदेश नीति और सच्चाई की पड़ताल"

तेजस्वी यादव का मानना है कि बिहार में उनका जनाधार अधिक है और विधानसभा चुनावों में मिली सफलता इस बात का प्रमाण है। वहीं, कांग्रेस भी राज्य में अपनी पुरानी पकड़ और राष्ट्रीय भूमिका का हवाला देकर ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। ऐसे में दोनों दलों के बीच तालमेल बिगड़ता दिख रहा है, जिसका असर पूरे महागठबंधन पर पड़ सकता है।

बिहार की राजनीतिक बिसात पर टकराव

बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, इसको लेकर अभी तक स्पष्ट सहमति नहीं बन सकी है। तेजस्वी यादव चाहते हैं कि RJD को कम से कम 25 सीटें दी जाएं, जबकि कांग्रेस 12 से 15 सीटों पर दावेदारी जता रही है। बाकी बची सीटें वामपंथी दलों और अन्य छोटे घटक दलों को देने की बात हो रही है।

माना जा रहा है कि राहुल गांधी की टीम चाहती है कि बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक दृष्टि से अहम राज्य में कांग्रेस को ‘जमीनी मजबूती’ के लिए पर्याप्त सीटें मिलें। वहीं, तेजस्वी यादव का तर्क है कि कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा बिहार में कमजोर है और केवल सीटों की संख्या बढ़ाने से वोट ट्रांसफर नहीं होगा।

पढ़ें :- मायावती ने दी भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी, बनाया बीएसपी का कोऑर्डिनेटर

राजनीतिक रणनीति और व्यक्तिगत समीकरण

तेजस्वी और राहुल गांधी की व्यक्तिगत केमिस्ट्री को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में दिल्ली में हुई INDIA गठबंधन की बैठक में भी दोनों नेताओं की बातचीत सीमित रही। सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के कुछ फैसलों पर असहमति जताई है, खासकर उम्मीदवार चयन और रैली कार्यक्रमों को लेकर।

इसके अलावा, कांग्रेस की ओर से बार-बार RJD को ‘एक सहयोगी’ के तौर पर देखने की रणनीति तेजस्वी को रास नहीं आ रही। वह चाहते हैं कि बिहार में गठबंधन का नेतृत्व RJD के हाथों में हो, जबकि कांग्रेस एक सहायक भूमिका निभाए।

महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल

यदि सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनती है, तो विपक्षी गठबंधन की एकता पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। भाजपा पहले ही इस मतभेद को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिशों में जुटी है। यदि कांग्रेस और RJD एक साथ मजबूत पैकेज के रूप में चुनाव नहीं लड़ते, तो बिहार में NDA को सीधा फायदा हो सकता है।

पढ़ें :- राहुल गांधी को छात्रों से मिलने से रोका गया: पुलिस की रोकटोक से मचा सियासी बवाल

तेजस्वी यादव बार-बार महंगाई, बेरोजगारी, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। वहीं, राहुल गांधी अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के ज़रिए जनता से सीधा संवाद बना रहे हैं। लेकिन जब तक दोनों नेता एक मंच पर ठोस समझौते के साथ नहीं आते, तब तक इन मुद्दों पर साझा प्रभाव नहीं बन पाएगा।

क्या निकलेगा समाधान?

आने वाले हफ्तों में यदि कांग्रेस और RJD के बीच कोई स्पष्ट और पारदर्शी बातचीत नहीं होती है, तो गठबंधन को बड़ा नुकसान हो सकता है। सीट बंटवारे की इस खींचतान ने यह साबित कर दिया है कि केवल साझा मंच या घोषणाएं काफी नहीं होतीं – ज़मीनी स्तर पर संतुलित और सम्मानजनक साझेदारी ही गठबंधन को टिकाऊ बना सकती है।

जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या तेजस्वी यादव और राहुल गांधी व्यक्तिगत हितों को दरकिनार कर महागठबंधन के बड़े उद्देश्य को प्राथमिकता देंगे।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com