भारत और पाकिस्तान के बाद अब ईरान-इजराइल! क्या आप भी सोच रहे हैं कि 12 दिन के इस युद्ध में असली विजेता कौन बना? नेतन्याहू, खामेनेई या फिर वो "अंकल सैम" जिसने दोनों को झुकने पर मजबूर कर दिया? चलिए, आज के इस विश्लेषण में हर पहलू पर गौर करते हैं।
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भारत और पाकिस्तान के बाद अब ईरान-इजराइल! क्या आप भी सोच रहे हैं कि 12 दिन के इस युद्ध में असली विजेता कौन बना? नेतन्याहू, खामेनेई या फिर वो “अंकल सैम” जिसने दोनों को झुकने पर मजबूर कर दिया? चलिए, आज के इस विश्लेषण में हर पहलू पर गौर करते हैं।
युद्ध की शुरुआत: क्यों टारगेट हुआ ईरान?
13 जून को इजराइल ने ऑपरेशन राइजिंग लाइन लॉन्च किया। उसका दावा:
लेकिन हैरानी की बात: नेतन्याहू पिछले 30 साल से यही दावा करते आ रहे हैं! 1996, 2002, 2012… हर बार वो कहते रहे: “कुछ महीनों में ईरान बम बना लेगा!” पर आज तक ऐसा हुआ नहीं। क्या यह सिर्फ हमले का बहाना था?
ईरान का जवाबी हमला: अमेरिकी बेस तक निशाने पर!
ईरान ने जवाब दिया धमाकेदार अंदाज़ में:
इस बीच, अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर्स भेजकर ईरान के न्यूक्लियर साइट्स (फ़ोर्डो, नतंज, इसफ़हान) पर हमला किया। ट्रंप का दावा: “अब यहाँ 10 साल तक न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं चल पाएगा!”
सीजफायर का ड्रामा: ट्रंप की ‘विजय‘ या मजबूरी?
22 जून को अचानक युद्धविराम! कैसे?
पर सच्चाई? दोनों का नुकसान हुआ, लेकिन ट्रंप ने क्रेडिट ले लिया! उन्होंने नाटो मीटिंग में घोषणा की: “मैंने भारत–पाक के बाद ईरान–इज़राइल युद्ध भी रुकवाया!”
भारत–पाकिस्तान से तुलना: एक जैसी ‘विजय‘?
तो फिर विजेता कौन? 3 दावेदारों का सच!
निष्कर्ष: किसने जीता, किसने खोया?