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Basant Panchami 2022: जानिए वसंत पंचमी का इतिहास, महत्व और उससे मान्यताएं

By इंडिया वॉइस 

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फरवरी माह या माघ माह में हर साल वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार मनाया जाता है। इस साल भी हिंदू कैलेंडर के अनुसार 25 और 26 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन विद्या की देवी यानी की मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी की पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े हर्षोउल्लास से मनायी जाती है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पचंमी का त्योहार मनाए खुशी से मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। ये त्योहार विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। हिंदू धर्म के अनुसार, मां सरस्वती का अवतरण इसी दिन हुआ था इसी कारण हर साल माघ शुक्ल की पंचमी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।

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इस दिन को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन माता सरस्वती और मां लक्ष्मी और देवी काली की पूजा की जाती और आशीर्वाद प्राप्त करते। प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को छह ऋतुओं में बाँटा जाता था उनमें सबसे मनचाहा मौसम बसंत ऋतु होता है क्योंकि इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का फूल मानो सोना  जैसे चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर मांजर  आ जाता और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं है। वसंत ऋतु के आगमन के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती हैं, और इस त्यौहार को वसंत पंचमी का त्यौहार कहा जाता है।

आइए अब आपको  बताते है इस साल बसंत पंचमी की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल बसंत पंचमी का त्योहार माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल माघ शुक्ल की पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।  इस बारबसंत पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

 

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कैसे करें पूरी विधि विधान के साथ बसंत पंचमी की पूजा

बसंत का पीले रंग के कपड़े पहने जाते है क्योंकि पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, आशावाद का प्रतीक माना जाता है और इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन  सभी घरों में पीले व्यंजन बनाए जाते हैं। माता सरस्वती को भी केसर, हल्दी पीले फूल, पीली मिठाई अर्पित करने की परंपरा है। पूजा के बाद मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ का जाप करना शुभ माना जाता है। मां सरस्वती विद्या और ज्ञान का आर्शीवाद देती हैं। इससे बुद्धि का विकास होता है।  आपको बता दें की इस दिन बच्चों के हाथ से अक्षर लिखवाकर उन्हें शिक्षा देने की पहल की जाती है।

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