हवा में बढ़ते प्रदूषण कारक तत्व केमिकल व हानिकारक गैसे वातावरण को प्रभावित कर रही है। बदला मौसम और बैक्टीरिया वायरस की सक्रियता बच्चो की सेहत पर भारी पड़ रही है।
पढ़ें :- अंगदान दिवसः मुख्य सचिव ने कहा-अंगदान से मरीजों को मिल सकता है दूसरा जीवन, बढ़ानी होगी जनजागरूकता
जिसके चलते छोटी उम्र में उनके फेफड़े कमजोर होने लगे हैं। खेलकूद या जरा सी मेहनत पर उनका दम फूलने लगता है। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घटने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।
फेफड़ों में सूजन और श्वास नली गांव में बस भर जाता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में हुए अध्ययन में 40 प्रतिशत बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर मिली जो बार-बार बीमार पड़ने से लेकर निमोनिया व संक्रमण की वजह बन रही है।
एलएलआर अस्पताल के बाल रूप के ओपीडी में फेफड़ों व सास से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित बच्चे आते हैं। बड़ी संख्या में फेफड़ों में संक्रमण यानी निमोनिया पीड़ित होते हैं। जिसमें पांच से 10 वर्ष की आयु के छह सौ बच्चों को लिया।