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अंगदान दिवसः मुख्य सचिव ने कहा-अंगदान से मरीजों को मिल सकता है दूसरा जीवन, बढ़ानी होगी जनजागरूकता

भारत में 3 अगस्त भारतीय अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंगदान की महत्ता को बताने के लिए शनिवार को लखनऊ के एचजी खुराना ऑडिटोरियम में 'ब्रेन स्टेम डेथ डिक्लेरेशन : वे टू आर्गुमेंट डिसीज्ड डोनेशन' सेमिनार का आयोजन किया गया।

By HO BUREAU 

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लखनऊ। भारत में 3 अगस्त भारतीय अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंगदान की महत्ता को बताने के लिए शनिवार को लखनऊ के एचजी खुराना ऑडिटोरियम में ‘ब्रेन स्टेम डेथ डिक्लेरेशन : वे टू आर्गुमेंट डिसीज्ड डोनेशन’ सेमिनार का आयोजन किया गया। आयोजन स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (एसओटीटीओ) व डिपार्टमेंट ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, एसजीपीजीआईएमएस ने किया था।

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इस मौके पर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि अंगदान से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को जीवन का दूसरा मौका मिल सकता है। अंग दान के महत्व के प्रति जनजागरूकता को बढ़ाना होगा। अंग प्रत्यारोपण दर को और बेहतर बनाने के लिए की जाने वाली पहल को प्राथमिकता देना होगा। वह जल्द ही इस कार्यक्रम को गति देने के लिए सभी सरकारी स्टेकहोल्डर विभागों के साथ बैठक करेंगे।

जागरूकता फैलाने वालों को किया गया पुरस्कृत

उन्होंने शासन की ऐसी अन्य प्राथमिकताओं के बारे में अपने अनुभव साझा किए। अंगदान को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए रील और नारा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। उन्होंने डॉ. राजेश हर्षवर्द्धन के नेतृत्व में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (एसओटीटीओ) द्वारा किए जा रहे प्रयासों तथा एसजीपीजीआईएमएस में डॉ. आरके धीमान के नेतृत्व में डॉ. नारायण प्रसाद और डॉ. एमएस अनाड़ी के तहत चलाए जा रहे ट्रांसप्लांट कार्यक्रम की सराहना की।

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने राज्य में अंग दान परिदृश्य को बढ़ाने के लिए चल रही पहलों और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की। एसजीपीजीआईएमएस के निदेशक प्रो० आरके धीमान ने अंग दान को जीवन का अंतिम उपहार बताया और बताया कि यह जीवन को कैसे बदल सकता है। अंत-चरण अंग विफलता से पीड़ित मरीजों को दूसरा मौका प्रदान करता है।

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जीवन का उपहार है अंग दानः प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा 

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंग दान को “जीवन का उपहार” के रूप में देखा जाना चाहिए और अधिक लोगों को अंग दाता बनने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया। आईजी एटीएस नीलाब्जा चौधरी ने अंग दान में पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर बात की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों और राज्य भर के ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर्स द्वारा अंगदान को संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक सप्ताह से चल रही श्रृंखला का समापन किया गया।

संगोष्ठी में चिकित्सा पेशेवरों और प्रत्यारोपण समन्वयकों को लॉजिस्टिक मैनेजमेंट,  डोनर आइडेंटिफिकेशन प्रोटोकॉल और ट्रांसप्लांट टेक्नीकस पर व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया। इसमें प्रतिभागी कॉलेजों में ब्रेन स्टेम डेथ समितियों को बढ़ाने और मानकीकृत करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जो दाताओं की सही पहचान के लिए महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के विषय विशेषज्ञों ने भी सेमिनार को संबोधित किया।

इस मौके पर सचिव चिकित्सा शिक्षा श्रीमती अपर्णा यू, स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के संयुक्त निदेशक प्रो. आर. हर्षवर्धन, एसजीपीजीआईएमएस के एक्जीक्यूटिव रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कर्नल वरुण बाजपेई, यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो.एमएस अंसारी, नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद सहित 200 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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