नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को व्यवधान के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने संसदीय कार्यवाही की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा किमाननीय सदस्यगण दुनिया हमारे लोकतंत्र को देखती है, फिर भी हम अपने आचरण से अपने नागरिकों को विफल करते हैं। ये संसदीय व्यवधान जनता के विश्वास और अपेक्षाओं का मजाक उड़ाते हैं। परिश्रमपूर्वक सेवा करने का हमारा मौलिक कर्तव्य उपेक्षित है।
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जहां तर्कपूर्ण संवाद होना चाहिए, वहां हमें केवल अराजकता ही देखने को मिलती है। मैं हर सांसद से, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो, अपने विवेक की जांच करने का आग्रह करता हूं। हमारे लोकतंत्र के नागरिक – मानवता का छठा हिस्सा – इस तमाशे से बेहतर के पात्र हैं।हम उन बहुमूल्य अवसरों को गँवा देते हैं जो हमारे लोगों की भलाई में सहायक हो सकते हैं।मुझे उम्मीद है कि सदस्य गहराई से आत्मनिरीक्षण करेंगे और नागरिक अपनी जवाबदेही निभाएंगे। ये पवित्र कक्ष ऐसे आचरण के पात्र हैं जो हमारी शपथ का सम्मान करते हैं, न कि नाटकीयता जो इसे धोखा देती है।”000