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आपातकाल 1975: लोकतंत्र का संकट या राष्ट्रीय ज़रूरत?

25 जून की वो काली रात – दिल्ली के घरों में दस्तक, संसद में सन्नाटा, और इंदिरा गांधी की आँखों में डर... क्या था सच? इंदिरा ने भारत को 'इलेक्टेड ऑटोक्रेसी' में बदल दिया।

By HO BUREAU 

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स्वतंत्रता की कीमत सतत जागरूकता है। थॉमस जेफरसन

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पृष्ठभूमि: वो 3 ट्रिगर जिन्होंने बदला इतिहास

  1. इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (12 जून 1975)
    • न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव अमान्य घोषित किया।
    • आरोप: सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग (राज नारायण याचिकाकर्ता)।
    • परिणाम: इंदिरा को 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध।
  2. जेपी आंदोलन: संपूर्ण क्रांतिका उफान
    • जयप्रकाश नारायण का नारा: सिंहासन खाली करो, जनता आती है!”
    • 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल रैली।
    • माँग: इंदिरा का इस्तीफ़ा, चुनाव सुधार, भ्रष्टाचार ख़त्म।
  3. आर्थिक अराजकता
    • 1973 का तेल संकट: महँगाई दर 23% (1947 के बाद सबसे ऊँची)।
    • 1974 की रेल हड़ताल: 20 लाख कर्मचारियों ने काम रोका, देश ठप।

 

“25 जून की वो काली रात दिल्ली के घरों में दस्तक, संसद में सन्नाटा, और इंदिरा गांधी की आँखों में डरक्या था सच?”

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मध्यरात्रि का क़हर: देश कैसे बंधा शृंखलाओं में?

  • 12:45 AM: इंदिरा गांधी की कार राष्ट्रपति भवन पहुँची।
  • 1:15 AM: राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने धारा 352 पर हस्ताक्षर किए – देश की सुरक्षा ख़तरे में है!”
  • 2:00 AM तक: जेपी, वाजपेयी, आडवाणी समेत 677 नेताओं की गिरफ़्तारी।
  • सुबह 8:00 AM: ऑल इंडिया रेडियो पर घोषणा – राष्ट्रपति ने आपातकाल लगाया!”

दिलचस्प तथ्य: इंदिरा ने कैबिनेट को 30 मिनट में फैसला मँजवाया! कई मंत्री अगली सुबह अख़बार से जान पाए!

 

आपातकाल के 21 महीने: तथ्यों की काली किताब

अधिकारों का गला घोंटा गया (धारा 352 का दुरुपयोग)

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संजय गांधी का अघोषित शासन

  • नसबंदी अभियान:
    • 62 लाख पुरुष जबरन नसबंदी का शिकार।
    • दिल्ली के तुर्कमान गेट पर झुग्गी विध्वंस के बदले नसबंदी का दबाव।
  • युवा कांग्रेस का आतंक:
    • संजय के समर्थकों ने विरोधियों को पीटा, सत्ता का दुरुपयोग किया।

मीडिया पर प्रहार

  • “इंडियन एक्सप्रेस” ने खाली पन्ने छापे (सेंसरशिप विरोध)।
  • “द स्टेट्समैन” के दफ्तर पर पुलिस छापा।
  • किशोर कुमार पर बैन: उनके गाने रेडियो पर बंद किए गए (विरोध के संदेह में)।

 

दो पक्ष / दो कहानियाँ: एक इतिहास

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पक्ष 1: लोकतंत्र का काला अध्याय

इंदिरा ने भारत को इलेक्टेड ऑटोक्रेसीमें बदल दिया।  रामचंद्र गुहा, राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने बिना सवाल किए आपातकाल लागू किया। कैबिनेट को 30 मिनट में फैसले पर मुहर लगाने को मजबूर किया गया।

  1. साक्ष्य: रामचंद्र गुहा – India After Gandhi

यह भारतीय गणतंत्र का सबसे ख़तरनाक मोड़ था।

  • मौलिक अधिकार निलंबित
  • न्यायपालिका पर दबाव
  • प्रेस सेंसरशिप
  1. साक्ष्य: कूमी कपूर– The Emergency: A Personal History

आपातकाल में चुप रहना देशभक्ति थी, बोलना अपराध।

  • 1,00,000+ बंदी (नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता)
  • अख़बारों की हर लाइन सरकारी अनुमति के बाद
  • विरोध = “राष्ट्रद्रोह”
  1. साक्ष्य: कैथरीन फ्रैंक– Indira: Life of Indira Gandhi

यह राष्ट्रीय संकट नहीं, व्यक्तिगत सत्ता का संकट था।

  • संजय गांधी का अनधिकृत प्रभुत्व
  • जबरन नसबंदी: 62 लाख पुरुष प्रभावित
  • झुग्गी विध्वंस “शहरी सफ़ाई” के नाम पर

पक्ष 2:  “समय की अनिवार्क्ता

  1. साक्ष्य: प्रणब मुखर्जीThe Turbulent Years: 1971–80

आपातकाल लोकतंत्र ख़त्म करने के लिए नहीं, शासन बचाने के लिए था।

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  • जेपी आंदोलनसे अराजकता
  • 1974 की रेल हड़ताल: राष्ट्र ठप
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा का चुनाव रद्द किया
  1. साक्ष्य: इंदिरा गांधी– My Truth

अराजकता में स्वतंत्रता बेमानी है।

  • हड़तालें रुकीं, कार्यालय समयबद्ध
  • भ्रष्टाचार-कालाबाज़ारी पर अंकुश
  • सोवियत संघ से रणनीतिक समझौते
  1. साक्ष्य: बिपिन चंद्रThe Emergency: A Relook

यह राजनीतिक भूल थी, पर राष्ट्र की अखंडता के लिए ज़रूरी कदम भी।

  • CIA द्वारा अस्थिरता फैलाने की आशंका
  • विघटनकारी ताक़तों का मुकाबला

 

आर्थिक प्रभाव: सिक्के के दो पहलू

 

विरासत: वो 3 सबक जो भारत ने सीखे

  1. संविधान की रक्षा:
    • 44वें संशोधन (1978) द्वारा आपातकाल प्रावधान कठोर किए गए।
    • अब राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के लिखित सुझाव के बिना आपातकाल नहीं लगा सकते।
  2. न्यायपालिका का पुनरुत्थान:
    • 1977 के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ADM जबलपुर फैसले को “त्रासदी” घोषित किया।
    • न्यायमूर्ति एच.आर. खन्ना का त्यागपत्र: न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रतीक।
  3. जनता का जागरण:
    • 1977 के चुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार (542 में से 154 सीटें)।
    • पहली गैर-कांग्रेसी सरकार (मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री)।

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 1977: जनता का जलवा इंदिरा को हराया!

  • चुनाव नतीजे: कांग्रेस 154 सीटें (पहली बार सत्ता से बाहर!)
  • जनता पार्टी की जीत: मोरारजी देसाई बने PM
  • सबकलोकतंत्र में जनता अंतिम फैसलाकार है!”

 कालजयी पंक्ति: अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा  इंदिरा जी, इतिहास आपको क्षमा नहीं करेगा!”

 

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