म्यूनिख/नई दिल्ली, 27 जून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उर्जा हासिल करना केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक गरीब परिवार का भी ऊर्जा पर बराबर का हक है। उन्होंने कहा कि ये धारणा गलत है कि गरीब देश और गरीब लोग पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। भारत का इतिहास बताता है कि इस तरह की सोच पूरी तरह गलत है।
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Becoming pro-planet people. Investing in a better future.
In the @G7 session on climate, energy & health, PM @narendramodi highlighted India’s efforts for green growth, clean energy, sustainable lifestyles & global wellbeing. pic.twitter.com/TyIuDOwoHa
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) June 27, 2022
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पर्यावरण सुरक्षा को लेकर बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने जर्मनी में चल रहे G-7 देशों के विस्तारित सम्मेलन को सोमवार को संबोधित किया। ‘बेहतर भविष्य में निवेश जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य’ विषय पर आयोजित सत्र में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “दुर्भाग्यवश, ऐसा माना जाता है कि विश्व के विकास और पर्यावरण सुरक्षा के लक्ष्यों के बीच एक मूल टकराव है। एक और गलत धारणा ये भी है कि गरीब देश और गरीब लोग पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन भारत का हजारों सालों का इतिहास इस सोच का पूर्ण रूप से खंडन करता है।”
विश्व में कार्बन उत्सर्जन में भारत की भागीदारी केवल 5%
पीएम मोदी ने कहा कि प्राचीन भारत ने अपार समृद्धि का समय देखा है। फिर हमने आपदा से भरी गुलामी की सदियां भी सहा है। आज स्वतन्त्र भारत पूरे विश्व में सबसे तेजी से विकास करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन इस पूरे कालखंड में भारत ने पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रत्ती भर भी कम नहीं होने दिया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी रहती है। इसके बावजूद विश्व में कार्बन उत्सर्जन में भारत की भागीदारी केवल 5 प्रतिशत है। इसका मूल कारण हमारी जीवनशैली है। ये शैली प्रकृति के साथ सह-सस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।
3 P ‘प्रो, प्लानेट, पीयूप्ल पर आधारित आंदोलन का आह्वान
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प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों के ऊर्जा पर समान अधिकार का पक्ष लेते हुए भारत में कम बिजली खपत LED बल्ब और स्वच्छ ऊर्जा वाली रसोई गैस उपलब्ध कराए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने ये दिखाया है कि गरीबों के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करते हुए भी बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सकता है। पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध की ओर संकेत करते हुए कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण ऊर्जा के दाम आसमान छू रहे हैं। इन परिस्थितियों में ऊर्जा की उपलब्धता पर हम सबको ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के प्रति समर्पित लोगों की सक्रियता पर जोर देते हुए तीन पी ‘प्रो, प्लानेट, पीयूप्ल’ (धरा प्रेमी जन) पर आधारित आंदोलन का आह्वान किया।
मानव और धरती का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा
कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मानव और धरती का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा है। इसी के चलते हमने एक विश्व, एक स्वास्थ्य का नजरिया अपनाया है। महामारी के दौरान भारत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए कई रचनात्मक तरीके निकाले हैं। इन तौर-तरीकों को अन्य विकासशील देशों तक ले जाने के लिए G-7 देश भारत को सहयोग दे सकते हैं।
भारतीय और परंपरागत औषधी की उपयोगिता का उल्लेख
पीएम मोदी ने विकासशील देशों की विकास यात्रा में भारत के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि हमें आशा है कि जी-7 के अमीर देश भारत के प्रयासों का समर्थन करेंगे। आज भारत स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के लिए एक बड़ा बाजार बन रहा रहा है। जी-7 देश इस क्षेत्र में शोध, नवाचार और उत्पादन में निवेश कर सकते हैं। हर नयी प्रौद्योगिकी को विस्तार देकर भारत पूरे विश्व के लिए किफायती बना सकता है। सर्कुलर अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांत भारतीय संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारतीय और परंपरागत औषधी की उपयोगिता का भी उल्लेख किया।