भारत-अमेरिका ट्रेड डील में GM फसलों की मंजूरी बड़ा मुद्दा। जानिए भारत क्यों घबरा रहा है, किसानों की क्या मांग है और अगर समझौता हुआ तो देश पर क्या असर पड़ेगा।
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते (Trade Deal) की चर्चाएं लंबे समय से चल रही हैं। अमेरिका का प्रयास है कि भारत अपने कृषि बाज़ार में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों के लिए रास्ता खोले। वहीं भारत इस पर एहतियात बरत रहा है।
हाल ही में अमेरिकी व्हाइट हाउस ने बयान दिया कि 9 जुलाई 2025 से पहले दोनों देशों के बीच एक अहम एग्रीमेंट हो सकता है। इस समझौते में GM फसलों की भारतीय बाज़ार में अनुमति बड़ा मुद्दा बना हुआ है। किसानों और पर्यावरणविदों में इसे लेकर गहरी चिंता है।
आइए जानते हैं —
GM फसलें क्या होती हैं?
GM (Genetically Modified) फसलें वे हैं, जिनके डीएनए (DNA) में लैब में बदलाव किया जाता है ताकि
कैसे होती है Gene Modification?
जैसे कपास के पौधे में Bacillus thuringiensis (Bt) नामक बैक्टीरिया का जीन डाल दिया गया। इससे कपास के सबसे बड़े दुश्मन — बॉल वर्म — का असर खत्म हो गया।
इसी तरह मक्का, सोयाबीन, सरसों और टमाटर आदि फसलों में भी जीन बदलकर इन्हें बेहतर बनाने की कोशिश होती है।
दुनियाभर में GM फसलों की स्थिति
GM फसलें 29 से ज्यादा देशों में उगाई जाती हैं।
अमेरिका, ब्राज़ील, अर्जेंटीना और कनाडा इस क्षेत्र में सबसे आगे हैं।

दुनियाभर में GM फसलों की स्थिति
भारत ने अब तक सिर्फ Bt कपास को ही मंजूरी दी है। GM मक्का, सरसों, बैंगन जैसी फसलों पर रोक लगी है।
🇺🇸 अमेरिका का दबाव क्यों?
अमेरिका चाहता है कि भारत
अमेरिका का तर्क है कि
भारत का डर और आपत्ति
भारत के पास GM फसलों को लेकर ठोस कारण हैं, जिससे वो इनकी मंजूरी देने से बच रहा है।
आज तक GM फसलों के दीर्घकालिक प्रभाव पर वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ। GM खाने से
WHO ने भी कहा है कि GM खाद्य सुरक्षा पर लंबे समय तक निगरानी ज़रूरी है।
GM बीज कंपनियां बीजों में टर्मिनेटर जीन डाल देती हैं, जिससे फसल से नया बीज नहीं उग सकता।
किसान हर सीजन कंपनियों से बीज खरीदने को मजबूर होगा।
भारत में आज भी 60% किसान खुद का बीज बनाकर बोते हैं। GM बीज आ जाने पर ये परंपरा टूटेगी।
GM फसलों से
जैसे खतरे होते हैं।
Bt Cotton आने के बाद भी भारत में कीटनाशक का इस्तेमाल 20% ही कम हुआ। कुछ क्षेत्रों में सुपर बग्स की समस्या भी बढ़ी है।
यूरोपियन यूनियन ने साफ कहा है — GM खाद्य फसलें नहीं खरीदेगा।
भारत अगर GM फसलें उगाता है तो
किसान क्यों कर रहे हैं विरोध?
देशभर के किसान संगठनों ने
GM फसलों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है।
किसानों की मांग:
भारतीय किसान यूनियन (BKU), AIKS और RKMKS जैसी कई यूनियनों ने बयान दिया कि
“भारत की मिट्टी, मौसम और किसान परंपरा GM फसलों के अनुकूल नहीं है। ये बहुराष्ट्रीय कंपनियों का षड्यंत्र है।“
अगर समझौता हुआ तो असर क्या?

अगर समझौता हुआ तो असर क्या?
निष्कर्ष
भारत के सामने दो रास्ते हैं:
भारत सरकार ने एग्रीकल्चर टैरिफ और GM फसलों पर फिलहाल सहमति नहीं दी है।
9 जुलाई 2025 तक अंतिम फैसला होना है।
आपकी राय?
क्या भारत को GM फसलों को मंजूरी देनी चाहिए?
या देसी खेती और किसान को बचाना ज़रूरी है?
कमेंट करके अपनी राय जरूर दें।