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PSLV-C54 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी, एक साथ लॉन्च हुए 9 सैटेलाइट

ISRO Launch PSLV: भारत ने पीएसएलवी-सी54 रॉकेट से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, ओशनसैट और आठ अन्य नैनो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

ISRO Launch PSLV: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) ने शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से आठ नैनो उपग्रहों सहित नौ उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन को शनिवार (26 नवंबर) को सुबह श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया। इसका 25 घंटे का काउंटडाउन शुक्रवार (25 नवंबर) सुबह 10.46 पर शुरू हुआ। यह ISRO के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की 56वीं और विस्तारित पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण की 24वीं उड़ान है।

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जानें इनकी खासियत

आपको बता दें कि, मिशन का प्राथमिक पेलोड ओशनसैट सीरीज के थर्ड जेनरेशन सैटेलाइट Oceansat-3 है. Oceansat सीरीज के सैटेलाइट अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट हैं, जो कि समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय अध्ययन के लिए समर्पित हैं. इसके अलावा यह सैटेलाइट समुद्री मौसम का पूर्वानुमान करने में सक्षम है, जिससे देश किसी भी चक्रवात के लिए पहले से तैयार रहे.

बता दें कि, ISRO ने PSLV C54/EOS06 लॉन्च किया, इसे ओशनसैट-3 के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 8 नैनो उपग्रहों को लॉन्च किया गया। उपग्रह को सूर्य-समकालिक कक्षा में तैनात किया जाएगा। इस मिशन को शनिवार सुबह 11.46 बजे श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया। Oceansat सीरीज के सैटेलाइट अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट हैं, जो कि समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय अध्ययन के लिए समर्पित हैं। इसके अलावा यह सैटेलाइट समुद्री मौसम का पूर्वानुमान करने में सक्षम है, जिससे देश किसी भी चक्रवात के लिए पहले से तैयार रहे।

लॉंच किया गया सबसे लंबा मिशन
ये पूरा मिशन लगभग 8,200 सेकेंड (2 घंटे 20 मीटर) तक चलेगा। यह मिशन इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सबसे लंबे मिशनों में से एक है। इस दौरान प्राथमिक उपग्रहों और नैनो उपग्रहों को दो अलग-अलग सोलर सनक्रोनस पोलर ऑर्बिट्स (SSPO) में लॉन्च किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि रॉकेट का प्राथमिक पेलोड एक ओशनसैट है जिसे कक्षा -1 में अलग किया जाएगा। वहीं, आठ अन्य नैनो-उपग्रहों को अलग-अलग कक्षाओं में रखा जाएगा।

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