नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने रविवार को अंगदान के महत्व पर प्रकाश डाला। इसे “एक आध्यात्मिक गतिविधि और मानव स्वभाव का उच्चतम नैतिक उदाहरण” बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंगदान शारीरिक उदारता से परे है, जो करुणा और निस्वार्थता के गहरे गुणों को दर्शाता है।
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आज जयपुर में शरीर दाताओं के परिवारों को सम्मानित करने के लिए जैन सोशल ग्रुप्स (जेएसजी) केंद्रीय संस्थान, जयपुर और दधीचि देह दान समिति, दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से अंगदान करने का आग्रह किया। कहा कि यह एक ऐसा मिशन है जो मानवता की सेवा की महान परंपरा के अनुरूप है।
कहा- किसी की मुस्कान का बनें कारण
विश्व अंगदान दिवस की थीम, “आज किसी की मुस्कान का कारण बनें” पर प्रकाश डालते हुए श्री धनखड़ ने सभी को अंगदान के नेक काम के लिए व्यक्तिगत और पारिवारिक प्रतिबद्धता बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।श्री धनखड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह शरीर व्यापक सामाजिक कल्याण के लिए एक उपकरण बन सकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब आप उनकी सहायता करते हैं, तो आप उन्हें एक दायित्व से एक संपत्ति में बदल देते हैं। अंगदान में बढ़ते ‘व्यावसायीकरण के वायरस’ पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि अंगदान समाज के लिए सोच समझकर किया जाना चाहिए न कि वित्तीय लाभ के लिए।