पेरिस जलवायु परिवर्तन की ओर देश तेजी से बढ़ रहा है। इस सम्मेलन के दौरान भारत ने कई संकल्प लिये थे, जिनमें से कई लक्ष्यों को देश ने निर्धारित समय से पहले ही पूरा कर लिया है।
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नई दिल्ली, 4 जनवरी 2022। वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु परिवर्तन पर एक विशेष सम्मेलन का आयोजिन किया गया था। इस सम्मेलन में विश्व के देशों ने शामिल होकर जलवायु परिवर्तन पर एक जुट होकर काम करने के लिए संकल्प लिया था। भारत ने भी इस दौरान अपने लिए कई लक्ष्यों को निर्धारित किया था, जिनमें से कई लक्ष्यों को देश ने पूरा भी कर लिया है। वर्ष 2015 में भारत ने 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन स्त्रोतों से प्राप्त बिजली को 40 प्रतिशत करने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को देश ने बीते दिसंबर माह में ही प्राप्त कर लिया है। ये भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
एक वरिष्ठ पत्रकार स्वामिनाथन एस. ए. अय्यर के अनुसार देश ने जलवायु परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। उनके मुताबिक भारत की कुल बिजली क्षमता 390 गीगावाट में गैर-जीवाश्म हिस्सेदारी दिसंबर की शुरुआत में 156 गीगावाट पर आ गई है।
क्या है पेरिस समझौता?
पेरिस समझौते के अंतर्गत प्रावधान है कि वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखना और इसे बनाए रखने के लिए सभी देशों को ये ध्यान रखना होगा कि तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न जाए। इसके साथ ही मानवीय कार्यों के कारण ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को इस स्तर लाने का लक्ष्य रखा कि पेड़, मिट्टी व समुद्र इस गैस को प्राकृतिक रूप से अवशोषित करते रहे।
इस समझौते के तहत गैस उत्सर्जन कटौती पर प्रत्येक देश की भूमिका और प्रगति के स्तर की हर पांच साल में समीक्षा करने का भी संकल्प लिया गया है। इसके साथ ही विकासशील देशों को जलवायु वित्तीय सहायता के लिए 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष देने और भविष्य में इसे बढ़ाने के भी प्रतिबद्धता की बात की कही गई थी।
हालांकि विकासशील और विकसीत देशों के लिए ये समझौता एक सामान लागू नहीं किया जा सकता है। इसी वजह से विकासशील देशों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में आर्थिक सहायता और कई तरह की छूटों का प्रावधान किया गया।