टीवी सीरियल प्रोड्यूसर एकता कपूर को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने निचली अदालत के गिरफ्तारी वारंट के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही, शिकायत करता को नोटिस भी जारी किया है
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टीवी सीरियल प्रोड्यूसर एकता कपूर और उनकी मां शोभा कपूर को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने बेगुसराय कोर्ट में दायर मामले पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के कार्रवाई को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही, शिकायत करता को नोटिस भी जारी किया है. पटना हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने की. वेब सीरीज को लेकर नाराज शंभु कुमार ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. दरअसल, इस विवादित वेब सीरीज में दिखाया गया था कि एक महिला जिसका पति सेना में था, उनके दोस्त को सेना का वर्दी पहना कर शारीरिक संबंध बनाती है. बेगूसराय की अदालत में इसे सेना का अपमान मानते हुए एक मुकदमा पिछले साल यानी 2021 में ही दर्ज कराया गया था.
शिकायतकर्ता ने सेना की छवि धूमिल करने का लगाया आरोप
मामला एकता कपूर द्वारा बनाए गए एक सीरियल में आर्मी के अधिकारियों को गलत ढंग से दिखाए जाने से संबंधित है. शिकायतकर्ता शम्भू कुमार ने बेगूसराय की निचली अदालत में दायर किये शिकायत में कहा है कि एकता कपूर द्वारा अपने सीरियल में आर्मी के अधिकारियों को गलत तरीके से दिखाकर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है . इस शिकायत पर बेगूसराय की अदालत ने एकता कपूर और इनकी माँ शोभा कपूर के खिलाफ आई पी सी की धारा 500 एवं 504 के तहत संज्ञान लेते हुए कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश जारी किया था. एकता कपूर और शोभा कपूर ने निचली अदालत के एसी आदेश को पटना हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए उसे रद्द करने के लिए यह याचिका दायर किया है. कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता बाई वी गिरी और अधिवक्ता निखिल कुमार अग्रवाल कोर्ट में उपस्थित थे .
वंही दूसरी तरफ शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने भी निर्माता एकता कपूर की वेब सीरीज ‘एक्सएक्सएक्स’ (XXX) में ‘आपत्तिजनक सामग्री’ को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि वह इस देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं.शीर्ष अदालत कपूर द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘अल्ट बालाजी’ पर प्रसारित वेब सीरीज में सैनिकों का कथित रूप से अपमान करने और उनके परिवारों की भावनाओं को आहत करने के लिए उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती दी गई.
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘‘कुछ तो किया जाना चाहिए. आप इस देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं. यह सभी के लिए उपलब्ध है. ओटीटी (ओवर द टॉप) कंटेंट सभी के लिए उपलब्ध है. आप लोगों को किस तरह का विकल्प दे रहे हैं?…इसके विपरीत आप युवाओं के दिमाग को प्रदूषित कर रही हैं.’’