विधायकों के एक साल के निलंबन के प्रस्ताव को असंवैधानिक ठहराया।
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नई दिल्ली, 28 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों के एक साल के निलंबन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा विधायकों का निलंबन सिर्फ मानसून सत्र 2021 तक सीमित रहना चाहिए था। एक सत्र से ज्यादा के लिए विधायकों के निलंबन का विधानसभा का प्रस्ताव असंवैधानिक और मनमाना था। 19 जनवरी को जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
11 जनवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से एक साल के लिए निलंबित 12 भाजपा विधायकों को निलंबित किए जाने को निष्कासन से भी बदतर करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि एक साल के दौरान निर्वाचन क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ।
विधानसाभा के पास 60 दिनों से अधिक निलबन का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि नियमों के मुताबिक विधानसभा के पास किसी सदस्य को 60 दिनों से अधिक निलंबित करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने संविधान की धारा 190(4) का हवाला देते हुए कहा था कि अगर कोई सदस्य सदन की अनुमति के बिना 60 दिनों की अवधि तक अनुपस्थित रहता है तो वह सीट खाली मानी जाएगी। ऐसे में यह फैसला निष्कासन से भी बदतर है। कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है जब वे वहां नहीं हैं। यह सदस्य को दंडित नहीं कर रहा है बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित कर रहा है।
14 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने निलंबित 12 भाजपा विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था। इन विधायकों ने अपनी याचिका में स्पीकर की ओर से दुर्व्यवहार के मामले में की गई कार्रवाई को जरूरत से ज्यादा कठोर बताया है।
#Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों के एक साल के निलंबन को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया।
पीठासीन अधिकारी के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।#Maharashtra pic.twitter.com/OIwVgmi7Se
— India Voice (@indiavoicenews) January 28, 2022
याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष में बहस होती रहती है। महाराष्ट्र में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि स्पीकर को 12 विधायकों को अपना स्पष्टीकरण देने का अवसर देना चाहिए था। सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायक भी स्पीकर के कक्ष में मौजूद थे।
याचिका में कहा गया है कि एक साल के लिए सदन से निलंबित करने का फैसला जरूरत से ज्यादा कठोर है। ऐसा करना केवल विपक्ष की ताकत को कम करने के लिए की गई है।
बता दें कि पिछले 6 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा के अंदर और बाहर स्पीकर के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में भाजपा के 12 विधायकों को विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किया गया था।